रविवार, 15 जुलाई 2012

न्याय के देव शनि


न्याय के देव शनि को कौन नहीं भला जानता होगा, और शनि की साढ़ेसाती से लगभग सभी लोग परिचित होते ही हैं। ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर 15 नवंबर 2011 को शनि तुला राशि में प्रवेश करेंगे जिसकी वजह से सिंह राशि वालों की साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी तथा कन्या, तुला और वृश्चिक राशि वाले जातकों पर साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा। इन तीनों राशियों में तुला राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती शुभ रहेगी।
15 नवंबर को तुला राशि में प्रवेश करेंगे शनि :
प्रिय पाठकों, ज्योतिष गणनाओं के आधार पर शनि तुला राशि में 15 नवंबर 2011 को प्रवेश करेगा। खुशी की बात यह है कि सिंह राशि वाले महानुभावों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी, वहीं दूसरी ओर वृश्चिक राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होगी तथा कन्या और तुला राशि वालों को शनि की साढ़े साती चालू यथावत बनी रहेगी। कन्या राशि वालों को यह अंतिम ढैय्या रहेगी और तुला राशि वालों को दूसरी ढैय्या रहेगी। तुला राशि का स्वामी शुक्र और कन्या राशि का स्वामी बुध यह दोनों ही शनिदेव के मित्र हैं। इस कारण से इन राशि वालों को कष्ट की मात्रा अल्प रहेगी। इसके अतिरिक्त यदि शनिदेव की आराधना करके उनका सम्मान किया जाये तो साढ़ेसाती का असर नगण्य हो सकता है।
देश के लिए कैसा रहेगा यह शनि का राशि परिवर्तन :
हमारे देश भारतवर्ष की वृष लग्न और कर्क राशि है। अतएव अपने देश भारत पर शनि के साढ़े साती का असर बिल्कुल न के बराबर रहेगा। बल्कि वृष लग्न वाले भारतवर्ष एवं जातकों के लिए शनि सकारात्मक फल प्रदान करने वाला योगकारी और भाग्योदयकारी है।
 हजारों कुंडलीयों में मैने प्राय: ऐसा देखा है कि जन्म पत्रिका में शनि यदि लाभकारी स्थिति में है तो उन व्यक्तियों को लाभ देगा। इस लेख के माध्यम से उन भविष्यवक्ताओं एवं लोगों को बताना चाहूंगा कि यदि शनि की साढ़े साती का विश्लेषण करते समय हमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित तथ्यों का जरूर ध्यान देना चाहिए।
जन्म पत्रिका के अनुसार किस ग्रह की महादशा, अंतर्दशा चल रही है, यह भी ध्यान में रखना होगा। यह नियम भी याद रखना आवश्यक है कि जब शनि 3, 6, 11 स्थानों पर भ्रमण करता है तो बहुत अच्छा फ ल देता है। इस नियम के अनुसार तुला का शनि सिंह राशि, वृष राशि एवं धनु राशि वालों को लाभकारी रहने की संभावना है। कन्या राशि वालों को यह धन स्थान में मित्र क्षेत्री रहने से यदि जन्म पत्रिका में लाभकारी है तो बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। यदि सर्विस में है तो प्रमोशन मिलेगा। जहां 15 नवंबर 2011 से शनि की साढ़ेसाती कन्या, तुला, वृश्चिक राशि पर रहेगी, उसी के साथ कर्क, मीन राशि वालों को शनि की ढैय्या रहेगी। इनका समय कष्टकारी रहेगा। शनि लाभकारी रहेगा या कष्टकारी, इसका निर्णय अष्टक वर्ग में उसे प्राप्त बिंदु के आधार पर ही रिकया जाना चाहिए। क्योंकि वह उसी के अनुसार फ ल देगा। यदि 28 से कम बिंदु मिले हैं तो परिणाम ठीक नहीं होंगे, यदि 28 से अधिक बिंदु मिलते हैं तो उस अवस्था में शनि कम कष्टकारी रहेगा। शनि के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण रखना होगा। यह भी विचार करें कि वह जन्म पत्रिका में किस ग्रह के ऊपर से भ्रमण कर रहा है, उसके अनुसार परिणाम होंगे। ज्योतिष का यह नियम भी याद रखें कि शनि जिस स्थान पर रहता है उसमें उस भाव से संबंधित शुभ फल देता है, परंतु जिस घर पर उसकी दृष्टि रहती है उससे संबंधित वस्तुओं को नुकसान पहुंचाता है।
  शनि की दृष्टि है अमंगलकारी :
शनि की दृष्टि अमंगलकारी रहने का कारण यह भी है कि शनि को उनकी धर्म पत्नी द्वारा श्राप दिया गया था। शनि अपने स्थान से सप्तम स्थान, तृतीय स्थान एवं दशम स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है। जिन युवकों एवं कन्याओं की जन्म पत्रिका में शनि की पूर्ण दृष्टि सप्तम यानी विवाह स्थान पर रहती है, ऐसे लड़के, लडकियों के विवाह बहुत कठिनाई से होते हैं। यदि किसी लड़के, लड़की के विवाह में विलंब होता है तो देखें कि शनि की दृष्टि तो विवाह स्थान पर है या नहीं, यदि है तो दृष्टि प्रभाव हेतु समुचित उपायों का उपयोग कर सकते हैं।
माननीया सुश्री मायावती का शनि पंचम में है और विवाह स्थान को तृतीय पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। वह शायद इसी कारण अविवाहित हैं, जैसा कि ऊपर वर्णन कर चुके हैं। वृश्चिक राशि पर 15.11.2011 से साढ़े साती आयेगी। तुला का शनि उच्च का रहेगा तो तुला, मिथुन, धनु, मकर तथा कुंभ राशि वालों के लिए लाभकारी रहेगा। परंतु भारतीय जनता पार्टी की राशि पर साढ़ेसाती के कारण पार्टी में परेशानी पैदा करेगा। नेताओं में मतभेद उभरेंगे। प्रधानमंत्री पद के दावेदार को लेकर भी मतभेद बढऩे की संभावना रहेगी।
कैसे प्रसन्न होंगे शनिदेव :
श्री शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों में से किसी मंत्र का जप श्रद्धापूर्वक करें तो कष्टों का निवारण होगा।
तांत्रिक मंत्र : 1. ऊँ शं शनैश्चराय नम: 2. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
वैदिक मंत्र : ऊँ शन्नौ देवीरभिष्टयाऽआपो भवंतु पीतये। शंय्योरभि:श्रवंतु न:॥
श्री शंकर भगवान की उपासना व श्री बजरंगबली की उपासना से भी शनि के कष्ट दूर होते हैं। अत: आप श्री शंकर भगवान या श्री बजरंगबली की आराधना करें। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि की वस्तुओं का दान करना भी लाभकारी रहता है। ये वस्तुएं हैं- काले उड़द, काले तिल, तेल, लोहा, बर्तन में सरसों का तेल आदि- श्री बजरंगबली के मंदिर में भेंट करना, बहुत लाभकारी रहता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। वह मंत्र इस प्रकार है- ऊँ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
 हम सभी जानते हैं कि शनिदेव, सूर्य पुत्र और यम के सहोदर हैं। भगवान भोलेनाथ ने शनि को भ्रष्ट जीवों को दंड देने की जिम्मेदारी दी है। इस प्रकार शनिदेव दंडाधिकारी हैं। शनि जन्म पत्रिका में कर्म स्थान यानी दशम स्थान- भाग्य में स्वगृही या उच्च का होने पर उक्त व्यक्ति को राजनीति में शिखर पर पहुंचा देता है। पत्रिका में वृष, तुला और मकर लग्न वालों को यह योगकारी होता है और वह स्वगृही या उच्च का हो तो उच्चपद दिलाता है जैसे माननीय अटल बिहारी बाजपेई जी का तुला का शनि लग्न में उच्च का है।
1. श्री के. पी. एस. गिल प्रसिद्ध पुलिस अधिकारी का शनि भाग्य में स्वगृही है और बार-बार उच्चपद मिलता गया।
2. श्री मनमोहन सिंह जी का शनि धनस्थान में स्वगृही होने का लाभ यह हुआ कि उन्हें उच्चपद मिला।
3. श्री मुरली मनोहर जोशी जी का शनि स्वगृही है और विपरीत राजयोग बनाया है तथा शनि की महादशा 18 जुलाई 2013 से लाभकारी रहेगी पार्टी में पूछ परख बढ़ेगी और अचानक लाभ मिलेगा।
4. बी.जे.पी. के श्री विक्रम वर्मा जी, को भी शनि आय स्थान में 15 नवंबर 2011 से लाभकारी रहेगा।
5. श्री शिवराज सिंह चौहान मुखयमंत्री (म.प्र.) की मकर राशि होने से शनि भाग्य में लाभकारी रहेगा। उत्तर प्रदेश की मुखयमंत्री सुश्री मायावती की वृष लग्न है और भाग्य का स्वामी शनि पंचम (बुद्धि स्थान) में होने से पुन: मुखयमंत्री बनी। श्री नारायण दत्त तिवारी और नर्मदा आंदोलन की नेता सुश्री मेघा पाटकर की मकर लग्न में एवं शनि भाग्य में उच्च का है वह राजनीति में उच्चपद पर अवश्य जायेंगी। शनि की दशा में अभी उनका समय अनुकूल चल रहा है। शनि व्यक्ति को कर्मठ बनाता है। यदि किसी की जन्म पत्रिका में शनि बलहीन मेष राशि में बैठा हो तो व्यक्ति बार-बार उन्नति के शिखर तक पहुंचते-पहुंचते रह जाता है। वृष, तुला, मकर राशि-लग्न वाले व्यक्ति नीलम की अंगूठी पहनकर शनि को प्रसन्न कर सकते हैं।  

राशि 2011: साढ़ेसाती का प्रभाव


शनि साढ़ेसाती वर्ष 2011 के अधिकांश समय में सिंह , कन्या और तुला राशि पर रहेगी। 14 नवम्बर को शनि अपनी राशि बदलेगा यानी कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करेगा। फलत: सिंह राशि से साढे़साती उतरेगी और वृश्चिक राशि पर साढ़ेसाती आरंभ होगी।

मेष , वृश्चिक और मिथुन राशि को ढैया स्वर्ण पाद यानी सोने के पाये से रहेगी। मीन , धनु और सिंह राशि को ढैया चांदी के पाये से रहेगी। कुंभ ,तुला और कर्क राशि को तांबे के पाये से ढैया रहेगी। मकर , कन्या और वृष राशि को शनि लौहपाद यानी लोहे के पाये से फल देगा। शनि के विभिन्न पाये यानी चरणों का फल धातुओं के हिसाब से आंका जाता है।

साढे़साती के दौरान जातक की जन्मकालीन कुण्डली में स्थित शनि का असर मुख्य रूप से होता है। फिर भी गोचर में सबसे खराब लोहे के पाये का असर बताया है। तांबे और चांदी के पाये का असर कुछ अच्छा विकास और उन्नतिदायक बताया है। उसी प्रकार सोने के पाये का असर मतिभ्रम अपव्यय और तनाव व्यापार और नौकरी में घाटे की स्थिति को दर्शाता है।

सभी राशियों पर शनि का प्रभाव
मेष : इस समय आपके मधुर संबंधों में कटुता बनी रहेगी। उद्योग-व्यापार में लाभ कम हानि की आशंका अधिक रहेगी। दाम्पत्य जीवन में अशांति परन्तु संतान पक्ष की कामयाबी से हर्ष रहेगा। स्वास्थ्य से पूर्ण संतुष्टी नहीं रहेगी। 15 नवम्बर के बाद सभी परिस्थितियों में सुधार होगा। शांति मिलेगी।

वृष : आपके द्वारा किया गया प्रयास सार्थक होगा। उद्योग , व्यापार में लाभ के अवसर मिलेंगे। शिक्षा-परीक्षा में सफलता घरेलू सुख शांति में कुछ गतिरोध बना रहेगा। परन्तु वाद-विवाद में सफलता मिलेगी। 15 नवम्बर के बाद मानसिक अस्थिरता , गृह प्रपंच बढ़ सकता है।

मिथुन : घरेलू सुखों में उतार-चढ़ाव , माता-पिता को कष्ट , विद्युत अग्निभय , मनस्ताप , कार्य व्यवसाय में गतिरोध , अनुचित खर्च से परेशानी। 15 नवम्बर के बाद सभी परिस्थितियों में सुधार , कार्यसिद्धि , मन खुश रहेगा। सुख शांति बनी रहेगी।

कर्क : स्वास्थ्य बाधा , शिक्षा परीक्षा में गतिरोध बना रहेगा। शारीरिक दुर्बलता , कार्य व्यवसाय में गतिरोध आगंतुकों से कष्ट , अपयश और मान-हानि हो सकती है। शारीरिक स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। 15 नवम्बर के बाद विपरीत परिस्थितियों में सुधार , आजीविका संबंधी कार्यों में सफलता , वैवाहिक जीवन में शांति तथा अदालती कार्यों में सफलता मिल सकती है।

सिंह : शारीरिक मानसिक कष्ट , चोर अग्नि भय , वाहन से कष्ट , नवीन परिवर्तनों में विश्वासघात , शत्रु वृद्धि , चल अचल सम्पत्ति में बाधाएं उत्पन्न होंगी। 15 नवम्बर के बाद अचानक वित्त लाभ , प्रतियोगिता में सफलता , पारिवारिक सुख सम्पन्नता तथा इच्छित कार्य सिद्धि हो सकती है।

कन्या : स्वास्थ्य बाधा , अपकृति , शत्रु वृद्धि , अपमानजनक स्थितियां। स्वजन परिजन से विवाद , अनर्गल खर्चा , स्त्री-संतान को कष्ट , कार्य-व्यवसाय में हानि हो सकती है। 15 नवम्बर के बाद स्थितियों में सुधार , नौकरी-व्यापार के लिए किया गया प्रयास सार्थक होगा। दाम्पत्य जीवन में अनुराग तथा ऐच्छिक कार्य सिद्धि।

तुला : नौकरी व्यापार में किया गया प्रयास सार्थक होगा। कोई महत्वपूर्ण पद की प्राप्ति हो सकती है। समाज में मान-सम्मान तथा महत्वपूर्ण अधिकार की प्राप्ति। 15 नवम्बर के बाद निराशाजनक स्थितियां बन सकती हैं। जिससे अपच , हाई बीपी , धन की कमी होगी। नौकरी व्यापार में भी गतिरोध उत्पन्न हो सकते हैं।

वृश्चिक : नवीन संकट का सामना , उत्पीड़न सहन करना पड़ेगा। लाभ कम हानि की आशंका ज्यादा रहेगी। आर्थिक स्थिति अनियंत्रित रहेगी। स्त्री , पुत्र , माता , पिता को शारीरिक कष्ट हो सकता है। 15 नवम्बर के बाद औद्योगिक क्षमता का विस्तार , शत्रुओं का शमन , बौद्धिक विकास ,नए वाहन भूमि भवन का लाभ संभव है।

धनु : कुछ नए तरह की समस्या का सामना करना पड़ेगा। कार्य व्यवसाय में हानि , पारिवारिक और राजकीय उलझन बनी रहेंगी। शिक्षा-परीक्षा में गतिरोध बना रहेगा। 15 नवम्बर के बाद कार्य विस्तार और भूमि या वाहन की प्राप्ति हो सकती है। प्रियजनों का विछोह हो सकता है।

मकर : बौद्धिक विकास , नौकरी व्यापार में स्थान परिवर्तन , अभीष्ट कार्यसिद्धि से प्रसन्नता , पुराने विवाद से निवृति , स्त्री संतान का सुख सहयोग , परन्तु 15 नवम्बर के बाद धन दव्य की हानि व्यर्थ भ्रमण दैनिक जीवन में खट्टे-मीठे अनुभव होंगे।

कुंभ : उद्योग व्यापार में लाभ , महत्वपूर्ण पद अधिकार की प्राप्ति , बौद्धिक कौशल से बाधाओं की निवृति होगी। ज्ञान , धर्म , धन , पुत्र सुख वृद्धि से मानसिक सुख बना रहेगा। परन्तु 15 नवम्बर के बाद अप्रिय वातावरण भोजन शयन में व्यवधान , धन सुख की हानि , विविध कष्ट का योग। स्त्री या संतान के कारण मान हानि की संभावना है , वाहन या शत्रु से कष्ट का योग।

मीन : धन अभाव , राजकीय सामाजिक परेशानी , कार्य अवरोधक प्रभाव , उत्साह में कमी , स्त्री संतान को कष्ट , प्रियजनों का विछोह। व्यापारिक पूंजी का क्षय , पुलिस के मामलों से धन अपव्यय हो सकता है। 15 नवम्बर के बाद सभी परिस्थितियों में सुधार , रोग सुख की निवृति और कार्य-व्यवसाय से धन लाभ हो सकता है। धर्म , अध्यात्म , अनुराग से यश और सफलता की प्राप्ति हो सकती है।

शनि का प्रभाव 
शनि अपना प्रभाव 3 चरणों में दिखाता है , जो साढ़े सात हफ्ते से साढ़े सात वर्ष तक होता है।
पहले चरण में : जातक का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और वह अपने उद्देश्य से भटक कर चंचल वृत्ति धारण कर लेता है। उसके अंदर स्थिरता का अभाव अपनी गहरी पैठ बना लेता है। पहले चरण की अवधि लगभग ढाई वर्ष तक होती है।

दूसरे चरण में : मानसिक के साथ-साथ शारीरिक कष्ट भी उसको घेरने लगते हैं , उसके सारे प्रयास असफल होते जाते हैं। तन , मन , धन से वह निरीह और दयनीय अवस्था में अपने को महसूस करता है। इस दौरान अपने और परायों की परख भी हो जाती है। अगर उसने अच्छे कर्म किए हों तो इस दौरान इसके कष्ट भी धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। अगर दूषित कर्म किए हैं और गलत विचारधारा से जीवनयापन किया है तो साढ़ेसाती का दूसरा चरण घोर कष्टप्रद होता है। इसकी अवधि भी ढाई साल होती है।

तीसरे चरण में : तीसरे चरण के प्रभाव से ग्रस्त जातक अपने संतुलन को पूर्ण रूप से खो चुका होता है और उसमें क्रोध की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है। परिणाम स्वरूप हर कार्य का उल्टा ही परिणाम सामने आता है तथा उसके शत्रुओं की वृद्धि होती जाती है। मतिभ्रम और गलत निर्णय लेने से फायदे के काम भी हानिप्रद हो जाते हैं। स्वजनों और परिजनों से विरोध बढ़ता है। आम लोगों में छवि खराब होने लगती है। अत: जिन राशियों पर साढे़ साती और ढैया का प्रभाव है , उन्हें शनि की शांति के उपचार करने पर अशुभ फलों की कमी होने लगती है और धीरे-धीरे वे संकट से निकलने के रास्ते प्राप्त कर सकते हैं। 

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