विवाह में बाधक ग्रह
अधिकांश माता-पिता की यह इच्छा होती है कि उनके वयस्क बेटी या बेटे की शादी समय से हो जाए। लेकिन लाख प्रयास करने के बाद भी कभी-कभार बेटी या बेटे का रिश्ता तय नहीं हो पाता। होता भी है, तो बहुत परेशानी आती है। ऎसा कुछेक लोगों के साथ इसलिए होता है कि उनकी कुंडली में विवाह बाधक ग्रह योग होते हैं। आइए इस मुद्दे पर विचार करें कि शादी-ब्याह में कौन से ग्रह बाधक होते हैं।
कुंडली में विवाह संबंधी जानकारी के लिए द्वितीय, पंचम, सप्तम एवं द्वादश भावों का विश्लेषण करने का विधान है। द्वितीय भाव परिवार का है। पति-पत्नी परिवार की मूल इकाई हैं। सातवां भाव विवाह का होता है। प्राय: पापाक्रांत द्वितीय भाव विवाह से वंचित रखता है। संतान सुख वैवाहिक जीवन का प्रबल पक्ष है। इसके लिए पंचम भाव का विश्लेषण आवश्यक है। सप्तम भाव तो मुख्यत: विवाह से संबंधित भाव है और द्वितीय भाव शय्या सुख के लिए विचारणीय है। इन भावों में किन ग्रहों से विवाह बाधा उत्पन्न होती है, देखें-
शनि से: शनि-सूर्य संयुक्त रू प से लग्न में हो, तब विवाह में बाधा आएगी। शनि लग्न में और चंद्रमा सप्तमस्थ हो, तो शादी देरी से होगी। शनि और चंद्रमा संयुक्त रू प से सप्तमस्थ हो अथवा नवांश लग्न से सप्तमस्थ हो, तो विवाह में विलंब होता है।
शुक्र से: शुक्र और चंद्रमा की सप्तम भाव में स्थिति चिंतनीय है। यदि शनि व मंगल उनसे सप्तम हो, तो विवाह विलंब से होगा और यदि यह योग बृहस्पति से दृष्ट हो, तो भी विवाह में पर्याप्त विलंब होता है।
वक्री ग्रह: सप्तम भाव में यदि वक्री ग्रह स्थित हो। सप्तमेश वक्री हो अथवा वक्री ग्रह या ग्रहों की सप्तम भाव या सप्तमेश अथवा शुक्र पर दृष्टि हो या शुक्र स्वयं वक्री हो, तब शादी-ब्याह होने में परेशानी आती है। यदि द्वितीय भाव में कोई वक्री ग्रह स्थित हो या द्वितीयेश स्वयं वक्री हो अथवा कोई वक्री ग्रह द्वितीय भाव या द्वितीयेश को देखता हो, तो भी विवाह विलंब से होता है।
बृहस्पति और शनि: यदि सप्तमेश या शुक्र किसी कन्या की कुंडली में बृहस्पति या शनि से सप्तमस्थ हो अथवा युति हो, तो विवाह में विलंब होता है।
शनि और बृहस्पति दोनों ही मंद गति से भ्रमण करने वाले ग्रह हों। शनि से युति या सप्तमस्थ होने की स्थिति में विवाह विलंब से होता है।
मंगल और शनि: यदि मंगल और शनि, शुक्र और चंद्रमा से सप्तमस्थ हो, तब विवाह में विलंब होता है। शनि और मंगल तुला लग्न वालों के लिए क्रमश: द्वितीयस्थ व अष्टमस्थ हो, तो विवाह में बहुत विलंब होता है। विवाह का सुख नहीं मिलता।
ज्योतिष शास्त्र में बाधक ग्रह सम्बंधी उपचार करने से विवाह के योग शीघ्र बनना संभव है। उपचार सम्बंधी जानकारी किसी विशेषज्ञ से ले लें।
अधिकांश माता-पिता की यह इच्छा होती है कि उनके वयस्क बेटी या बेटे की शादी समय से हो जाए। लेकिन लाख प्रयास करने के बाद भी कभी-कभार बेटी या बेटे का रिश्ता तय नहीं हो पाता। होता भी है, तो बहुत परेशानी आती है। ऎसा कुछेक लोगों के साथ इसलिए होता है कि उनकी कुंडली में विवाह बाधक ग्रह योग होते हैं। आइए इस मुद्दे पर विचार करें कि शादी-ब्याह में कौन से ग्रह बाधक होते हैं।
कुंडली में विवाह संबंधी जानकारी के लिए द्वितीय, पंचम, सप्तम एवं द्वादश भावों का विश्लेषण करने का विधान है। द्वितीय भाव परिवार का है। पति-पत्नी परिवार की मूल इकाई हैं। सातवां भाव विवाह का होता है। प्राय: पापाक्रांत द्वितीय भाव विवाह से वंचित रखता है। संतान सुख वैवाहिक जीवन का प्रबल पक्ष है। इसके लिए पंचम भाव का विश्लेषण आवश्यक है। सप्तम भाव तो मुख्यत: विवाह से संबंधित भाव है और द्वितीय भाव शय्या सुख के लिए विचारणीय है। इन भावों में किन ग्रहों से विवाह बाधा उत्पन्न होती है, देखें-
शनि से: शनि-सूर्य संयुक्त रू प से लग्न में हो, तब विवाह में बाधा आएगी। शनि लग्न में और चंद्रमा सप्तमस्थ हो, तो शादी देरी से होगी। शनि और चंद्रमा संयुक्त रू प से सप्तमस्थ हो अथवा नवांश लग्न से सप्तमस्थ हो, तो विवाह में विलंब होता है।
शुक्र से: शुक्र और चंद्रमा की सप्तम भाव में स्थिति चिंतनीय है। यदि शनि व मंगल उनसे सप्तम हो, तो विवाह विलंब से होगा और यदि यह योग बृहस्पति से दृष्ट हो, तो भी विवाह में पर्याप्त विलंब होता है।
वक्री ग्रह: सप्तम भाव में यदि वक्री ग्रह स्थित हो। सप्तमेश वक्री हो अथवा वक्री ग्रह या ग्रहों की सप्तम भाव या सप्तमेश अथवा शुक्र पर दृष्टि हो या शुक्र स्वयं वक्री हो, तब शादी-ब्याह होने में परेशानी आती है। यदि द्वितीय भाव में कोई वक्री ग्रह स्थित हो या द्वितीयेश स्वयं वक्री हो अथवा कोई वक्री ग्रह द्वितीय भाव या द्वितीयेश को देखता हो, तो भी विवाह विलंब से होता है।
बृहस्पति और शनि: यदि सप्तमेश या शुक्र किसी कन्या की कुंडली में बृहस्पति या शनि से सप्तमस्थ हो अथवा युति हो, तो विवाह में विलंब होता है।
शनि और बृहस्पति दोनों ही मंद गति से भ्रमण करने वाले ग्रह हों। शनि से युति या सप्तमस्थ होने की स्थिति में विवाह विलंब से होता है।
मंगल और शनि: यदि मंगल और शनि, शुक्र और चंद्रमा से सप्तमस्थ हो, तब विवाह में विलंब होता है। शनि और मंगल तुला लग्न वालों के लिए क्रमश: द्वितीयस्थ व अष्टमस्थ हो, तो विवाह में बहुत विलंब होता है। विवाह का सुख नहीं मिलता।
ज्योतिष शास्त्र में बाधक ग्रह सम्बंधी उपचार करने से विवाह के योग शीघ्र बनना संभव है। उपचार सम्बंधी जानकारी किसी विशेषज्ञ से ले लें।
महाशय प्रणाम एक अनुरोध है विवाह कब होगा कृपया देखिये ? प्रेम विवाह है या अरेंज्ड विवाह ?
जवाब देंहटाएंपत्नी की रूप रंग कद विद्या नौकरी विवाह की दिशा अगर हो सके तो कृपया बतायें
Date of Birth: 10 February 1981 Tuesday
Time of Birth: 21:43 (=09:43 PM), Indian Standard Time
Place of Birth: Bhubaneswar (Orissa), India
Latitude: 20.13N Longitude: 85.50E
Gender : Male
I am a B Tech E&T Engg I work as Software Engineer in Bangalore.
Sumit