शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

नवरात्र में देवी माँ के व्रत


नवरात्र में देवी माँ के व्रत रखे जाते हैं । स्थान–स्थान पर देवी माँ की मूर्तियाँ बनाकर उनकी विशेष पूजा की जाती हैं । घरों में भी अनेक स्थानों पर कलश स्थापना कर दुर्गा सप्तशती पाठ आदि होते हैं भगवती के नौ प्रमुख रूप (अवतार) हैं तथा प्रत्येक बार 9-9 दिन ही ये विशिष्ट पूजाएं की जाती हैं। इस काल को नवरात्र कहा जाता है। वर्ष में दो बार भगवती भवानी की विशेष पूजा की जाती है। इनमें एक नवरात्र तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक होते हैं और दूसरे श्राद्धपक्ष के दूसरे दिन आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से आश्विन शुक्ल नवमी तक।
इस व्रत में नौ दिन तक भगवती दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ तथा एक समय भोजन का व्रत धारण किया जाता है। प्रतिपदा के दिन प्रात: स्नानादि करके संकल्प करें तथा स्वयं या पण्डित के द्वारा मिट्टी की वेदी बनाकर जौ बोने चाहिए। उसी पर घट स्थापना करें। फिर घट के ऊपर कुलदेवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन करें तथा 'दुर्गा सप्तशती' का पाठ कराएं। पाठ-पूजन के समय अखण्ड दीप जलता रहना चाहिए। वैष्णव लोग राम की मूर्ति स्थापित कर रामायण का पाठ करते हैं। दुर्गा अष्टमी तथा नवमी को भगवती दुर्गा देवी की पूर्ण आहुति दी जाती है। नैवेद्य, चना, हलवा, खीर आदि से भोग लगाकर कन्या तथा छोटे बच्चों को भोजन कराना चाहिए। नवरात्र ही शक्ति पूजा का समय है, इसलिए नवरात्र में इन शक्तियों की पूजा करनी चाहिए।
नवरात्र क्या है
पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के काल में एक साल की चार संधियाँ हैं। उनमें मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है। ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियाँ बढ़ती हैं, अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए, शरीर को शुध्द रखने के लिए और तनमन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम 'नवरात्र'
नौ दिन या रात
अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी 'नवरात्र' नाम सार्थक है। यहाँ रात गिनते हैं, इसलिए नवरात्र यानि नौ रातों का समूह कहा जाता है।रूपक के द्वारा हमारे शरीर को नौ मुख्य द्वारों वाला कहा गया है। इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है। इन मुख्य इन्द्रियों के अनुशासन, स्वच्छ्ता, तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में, शरीर तंत्र को पूरे साल के लिए सुचारू रूप से क्रियाशील रखने के लिए नौ द्वारों की शुध्दि का पर्व नौ दिन मनाया जाता है। इनको व्यक्तिगत रूप से महत्त्व देने के लिए नौ दिन नौ दुर्गाओं के लिए कहे जाते हैं।
शरीर को सुचारू रखने के लिए विरेचन, सफाई या शुध्दि प्रतिदिन तो हम करते ही हैं किन्तु अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई करने के लिए हर छ: माह के अंतर से सफाई अभियान चलाया जाता है। सात्विक आहार के व्रत का पालन करने से शरीर की शुध्दि, साफ सुथरे शरीर में शुध्द बुद्धि, उत्तम विचारों से ही उत्तम कर्म, कर्मों से सच्चरित्रता और क्रमश: मन शुध्द होता है। स्वच्छ मन मंदिर में ही तो ईश्वर की शक्ति का स्थायी निवास होता है।
इनका नौ जड़ी बूटी या ख़ास व्रत की चीज़ों से भी सम्बंध है, जिन्हें नवरात्र के व्रत में प्रयोग किया जाता है-
कुट्टू (शैलान्न)
दूध-दही
चौलाई (चंद्रघंटा)
पेठा (कूष्माण्डा)
श्यामक चावल (स्कन्दमाता)
हरी तरकारी (कात्यायनी)
काली मिर्च व तुलसी (कालरात्रि)
साबूदाना (महागौरी)
आंवला(सिद्धीदात्री)
क्रमश: ये नौ प्राकृतिक व्रत खाद्य पदार्थ हैं।
अष्टमी या नवमी
यह कुल परम्परा के अनुसार तय किया जाता है। भविष्योत्तर पुराण में और देवी भावगत के अनुसार, बेटों वाले परिवार में या पुत्र की चाहना वाले परिवार वालों को नवमी में व्रत खोलना चाहिए। वैसे अष्टमी, नवमी और दशहरे के चार दिन बाद की चौदस, इन तीनों की महत्ता "दुर्गासप्तशती" में कही गई है।
कन्या पूजन
अष्टमी और नवमी दोनों ही दिन कन्या पूजन और लोंगड़ा पूजन किया जा सकता है। अतः श्रद्धापूर्वक कन्या पूजन करना चाहिये।
सर्वप्रथम माँ जगदम्बा के सभी नौ स्वरूपों का स्मरण करते हुए घर में प्रवेश करते ही कन्याओं के पाँव धोएं।
इसके बाद उन्हें उचित आसन पर बैठाकर उनके हाथ में मौली बांधे और माथे पर बिंदी लगाएं।
उनकी थाली में हलवा-पूरी और चने परोसे।
अब अपनी पूजा की थाली जिसमें दो पूरी और हलवा-चने रखे हुए हैं, के चारों ओर हलवा और चना भी रखें। बीच में आटे से बने एक दीपक को शुद्ध घी से जलाएं।
कन्या पूजन के बाद सभी कन्याओं को अपनी थाली में से यही प्रसाद खाने को दें।
अब कन्याओं को उचित उपहार तथा कुछ राशि भी भेंट में दें।
जय माता दी कहकर उनके चरण छुएं और उनके प्रस्थान के बाद स्वयं प्रसाद खाने से पहले पूरे घर में खेत्री के पास रखे कुंभ का जल सारे घर में बरसाएँ।

गुरुवार, 26 जुलाई 2012

झूलेलाल


झूलेलाल को वेदों में वर्णित जल-देवता, वरुण देव का अवतार माना जाता है। वरुण देव को सागर के देवता, सत्य के रक्षक और दिव्य दृष्टि वाले देवता के रूप में सिंधी समाज भी पूजता है। उनका विश्वास है कि जल से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और जल ही जीवन है। जल-ज्योति, वरुणावतार, झूलेलाल सिंधियों के ईष्ट देव हैं जिनके बागे दामन फैलाकर सिंधी यही मंगल कामना करते हैं कि सारे विश्व में सुख-शांति, अमन-चैन, कायम रहे और चारों दिशाओं में हरियाली और खुशहाली बने रहे।
भगवान झूलेलाल के अवतरण दिवस को सिंधी समाज चेटीचंड के रूप में मनाता है। कुछ विद्वानों के अनुसार सिंध का शासक मिरखशाह अपनी प्रजा पर अत्याचार करने लगा था जिसके कारण सिंधी समाज ने 40 दिनों तक कठिन जप, तप और साधना की। तब सिंधु नदी में से एक बहुत बड़े नर मत्स्य पर बैठे हुए भगवान झूलेलाल प्रकट हुए और कहा मैं 40 दिन बाद जन्म लेकर मिरखशाह के अत्याचारों से प्रजा को मुक्ति दिलाउंगा। चैत्र माह की द्वितीया को एक बालक ने जन्म लिया जिसका नाम उडेरोलाल रखा गया। अपने चमत्कारों के कारण बाद में उन्हें झूलेलाल, लालसांई, के नाम से सिंधी समाज और ख्वाजा खिज्र जिन्दह पीर के नाम से मुसलमान भी पूजने लगे। चेटीचंड के दिन श्रद्धालु बहिराणा साहिब बनाते हैं। शोभा यात्रा में ‘छेज’ (जो कि गुजरात के डांडिया की तरह लोकनृत्य होता है) के साथ झूलेलाल की महिमा के गीत गाते हैं। ताहिरी (मीठे चावल), छोले (उबले नमकीन चने) और शरबत का प्रसाद बांटा जाता है। शाम को बहिराणा साहिब का विसर्जन कर दिया जाता है।   

भगवान झूलेलाल के प्रमुख संदेश

  • ईश्वर अल्लाह हिक आहे।
    ईश्वर अल्लाह एक हैं।
  • कट्टरता छदे, नफरत, ऊंच-नीच एं छुआछूत जी दीवार तोड़े करे पहिंजे हिरदे में मेल-मिलाप, एकता, सहनशीलता एं भाईचारे जी जोत जगायो।
    विकृत धर्माधता, घृणा, ऊंच-नीच और छुआछूत की दीवारे तोड़ो और अपने हृदय में मेल-मिलाप, एकता, सहिष्णुता, भाईचारा और धर्म निरपेक्षता के दीप जलाओ।
  • सभनि हद खुशहाली हुजे।
    सब जगह खुशहाली हो।
  • सजी सृष्टि हिक आहे एं असां सभ हिक परिवार आहियू।
    सारी सृष्टि एक है, हम सब एक परिवार हैं।

बुधवार, 25 जुलाई 2012

राशि बताएगी आपकी लव एंड सेक्‍स लाइफ ग्रह-नक्षत्रों का असर न केवल जीवन पर पड़ता है, बल्कि इंसान के प्रेम और सेक्‍स पर भी यह प्रभाव डालता है। लव व सेक्‍स लाइफ पर राशि के इस प्रभाव को आइए देखते हैं-


मेष राशि के लडकों का सेक्स के प्रति लगाव अधिक होता है, लेकिन लडकियों का बहुत कम। मेष राशि के लोग लाल रंग पर कुछ ज्‍यादा ही फिदा हो जाते हैं। इस राशि के लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य जीवन के लिए साग-सब्जी, दूध व अंकुरित भोजन का सेवन अधिक करना चाहिए।

वृष राशि के लोग स्वभाव से बहुत ही रोमांटिक होते है। लडकियों को रोमांटिक संगीत सुनना और फिल्में देखना पसंद होता है जबकि लड़कों का सेंस ऑफ हयूमर गजब का होता है। इस राशि के लोगों को अच्‍छी सेहत के लिए बबूल व गोंद का हलवा तथा उडद की दाल का सेवन करना चाहिए।

मिथुन राशि का स्वामी बुध है। इस राशि के लड़के जल्‍दी ही आकर्षित हो जाते हैं जबकि इस राशि की लडकियां सरप्राइज पसंद होती हैं। इस राशि की लड़कियों को शादी की तस्‍वीर दिखाकर या रोमांटिक यादों से जुडी जगह पर ले जाकर अच्‍छा सरप्राइज दिया जा सकता है। इस राशि के लोगों को अपनी सेहत के लिए उडद की दाल से बनी चीजें तथा भोजन में गोंद का प्रयोग करना चाहिए।

कर्क राशि के लोग मनचले होते है। इस राशि के लोगों का मूड तुरंत रोमांटिक हो जाता है, खासकर एकांत स्‍थान पर। इस राशि के पुरुषों का अफेयर कई स्त्रियों से समय-समय पर या कई बार एक साथ ही चलता रहता है। इस राशि की लडकियों को कैंडल लाईट डिनर बहुत पसंद है। अच्‍छी सेहत के लिए इस राशि वाले लोग छुहारे व अक्ष्रवगंध का सेवन अवश्य करें।

सिंह राशि का स्वामी सूर्य है। इन लोगों को दिखावा बहुत भाता है। उचित माहौल में ही इनका मूड बनता है। लडकियों का मिजाज कुछ परिवर्तित होता है। बिस्‍तर पर भी इनका मूड माहौल को देखकर ही बनता है। रात में नहाना, परफ्यूम लगाना, पार्टनर की तारीफ करना, उनके अंगो से छेड़छाड़ करना जैसी बातें ऐसे लोगों के लिए सही माहौल तैयार करते हैं। भोजन में साठी के चावल, अंकुरित दाल का प्रयोग करें।

कन्या राशि के लोगों को हर तरह के सेक्स में आनंद आता हैं। इस राशि के लडके सेक्स के दौरान छेडखानी पसंद करते हैं। लडकियों का भी सेक्स की तरफ पूरा झुकाव होता है। इन्‍हें भोजन में गोंद, बादाम व छुहारे का सेवन नियमित करना चाहिए।

तुला राशि का स्वामी शुक्र है , जो काम शाक्ति का द्योतक है। इस राशि के लडको का स्वभाव बडा ही रोमांटिक होता है। इस राशि की लडकियों का सेक्स की तरफ रूझान कम होता है। ऐसे लोगों का मूड बनाने के लिए डिनर, चुटकले, चुंबन, एसएमएस आदि का उपयोग किया जा सकता है। इन्‍हें मेथी के लड्डू व बिनौले का सेवन करना चाहिए।

वृश्चिक राशि के लोग लव व सेक्‍स लाइफ को तरोताजा करने के लिए नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। अपने जीवनसाथी को आकर्षित करने के लिए नए-नए करतब करते हैं। इस राशि की लडकियों को भी रोमांस के मूड में लाने के लिए कुछ नए की जरूरत होती है। इस राशि के लोगों को अपने भोजन में खट्टा कम खाना चाहिए।

धनु राशि के लोग धार्मिक विचारों वाले होते हैं। इन लोगों को एकांत में रोमांस करना पसंद होता है। इन्‍हें रोमांस के लिए तैयार करने में पार्टनर को सेक्सी ड्रेस व अदाओं का सहारा लेना चाहिए। इन्‍हें अपने घर या शहर की जगह किसी हिल स्टेशन पर जाकर वादियों में रोमांस करना पसंद होता है। इस राशि की लडकियां रोमांटिक संगीत, फिल्‍म और बातों को पसंद करती हैं।

मकर राशि के लोगों को प्यार भरी बातों से अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। इस राशि के लोग सेक्स करने के दौरान बात करना पसंद नहीं करते। इस राशि की लड़कियां रोमांटिक बातें करने और डेट पर जाने के बाद ही रोमांस के मूड में आती हैं। भोजन में इन्‍हें अधिक गर्म चीजें नहीं खानी चाहिए।

कुंभ राशि का स्वामी शनि है। इस राशि के लड़के सेक्‍स में अतिरिक्‍त की चाह रखते हैं। इस राशि की लड़कियां एकांत स्‍थान में अच्‍छे मूड में आती हैं। इस राशि के लोगों को गर्भ भोजन करना चाहिए।

मीन राशि के लडके शीघ्र आकर्षित होती हैं। लडकियों को आंखों में आंखें डालकर देखना व बातें करना अच्छा लगता है। लड़कियों को सरप्राइज गिफ्ट लेना पसंद होता हैं।

यहाँ कुछ ऐसे सरल टोटके बताये जा रहे हैं जिन्हें अपना कर अपने दांपत्य जीवन को सुखी बनाया जा सकता है|

  • जिन महिलायों के पति अधिक शराब का सेवन करते हैं तथा अपनी आय का अधिक हिस्सा शराब पर लुटातें हैं,उनके लिए यह सब से सरल उपाय है|जिस दिन आपके पति शराब पीकर घर आयें और अपने जूते और उनका जूता अपने आप ही उल्टा हो जाये तो आप उस जूते के वजन के बराबर आटा लेकर उसकी बिना तवे तथा चकले की मदद से रोटी बनाकर कुत्ते को खिला दें|कुछ ही समय में वह शराब से घृणा करने लगेंगे|यदि ऐसा संजोग लगातार कम से कम तीन दिन हो जाये तो वह तुरंत ही शराब छोड़ देंगे|
  • शराब छुड़ाने का एक उपाए यह भी है की आप किसी भी रविवार को एक शराब की उस ब्रांड की बोतल लायें जो ब्रांड आपके पति सेवन करते हैं|रविवार को उस बोतल को किसी भी भैरव मंदिर पर अर्पित करें तथा पुन: कुछ रूपए देकर मंदिर के पुजारी से वह बोतल वापिस घर ले आयें|जब आपके पति सो रहें हो अथवा शराब के नशे में चूर होकर मदहोश हों तो आप उस पूरी बोतल को अपने पति के ऊपर से उसारते हुए २१ बार "ॐ नमः भैरवाय"का जाप करें|उसारे के बाद उस बोतल को शाम को किसी भी पीपल के वृक्ष के नीचे छोड़ आयें|कुछ ही दिनों में आप चमत्कार देखेंगी|
  • कुत्ते का नाख़ून अथवा बिच्छु का डंक आप किसी भी बी हने से ताबीज में पति को धारण करवा दें|इसके प्रभाव से वो अन्य महिला का साथ छोड़ देंगे|
  • शराब छुडवाने का एक यह भी उपाय है की आप एक शराब की बोतल किसी शनिवार को पति के सो जाने के बाद उन पर से २१ बार वार लें|उस बोतल के साथ किसी अन्य बोतल में आठ सो ग्राम सरसों का तेल लेकर आपस में मिला लें और किसी बहते हुए पानी के किनारे में उल्टा गाढ़ दें जिससे बोतलों के ऊपर से जल बहता रहे|
  • आपको यदि शक हो की आपके पति के किसी अन्य महिला से सम्बन्ध हैं तो आप इसके लिए रात में थोडा कपूर अवश्य जलाया करें इससे यदि सम्बन्ध होंगे तो छूट जायेंगे|
  • रविवार की रात में सोते समय कुछ सिन्दूर बिस्तर पर पति के सोने वाले हिस्से की और बिखरा दें तथा प्रात: नहा कर माँ पार्वती का नाम लेकर उससे अपनी मांग भर लें|
  • जिस महिला से आपके पति का संपर्क है उसके नाम के अक्षर के बराबर मखाने लेकर प्रत्येक मखाने पर उसके नाम का अक्षर लिख दें|उस औरत से पति का छुटकारा पाने की ईशवर से प्रार्थना करते हुए उन सारे मखानो को जला दें तथा किसी भी प्रकार से उसकी काली भभूत को पति के पैर के नीचे आने की व्यवस्था करें|
  • किसी के पति यदि अधिक क्लेश करते हैं तो वह स्त्री सोमवार से यह उपाय आरम्भ करे |प्रथम सोमवार को अशोक वृक्ष के पास जाकर धुप-दीप से अर्चना कर अपनी समस्या का निवेदन कर जल अर्पित करें|सात पत्ते तोड़कर अपने घर के पूजास्थल में रख कर उनकी पूजा करें|अगले सोमवार को पुन:यह क्रिया दोहराएँ तथा सूखे पत्तों को मंदिर तथा बहते जल में प्रवाहित कर दें|
  • यदि पति पत्नी का आपस में बिना बात के झगड़ा होता है और झगडे का कोई कारण भी नही होता तो अपने शयनकक्ष में पति अपने तकिये के नीचे लाल सिन्दूर रखे व पत्नी अपने तकिये के नीचे कपूर रखे|प्रात: पति आधा सिन्दूर घर में ही कहीं गिरा दें और आधे से पत्नी की मांग भर दें तथा पत्नी कपूर जला दे|
  • पति-पत्नी के क्लेश के लिए पत्नी बुधवार को तीन घंटे का मोंन रखें|शुक्रवार को अपने हाथ से साबूदाने की खीर में मिश्री दाल कर खिलाएं तथा इतर दान करें व अपने कक्ष में भी रखें|इस प्रयोग से प्रेम में वृद्धि होती है|
  • कनेर के पुष्प को पानी मैं घिसकर अथवा तथा पीसकर उस से पति के माथे पर तिलक करें .यह भी अन्य महिला से सम्बन्ध समाप्त करने का अच्छा उपाय है .
  • जब आपको लगे की आपके पति किसी महिला के पास से आरहें हैं तो आप किसी भी बहाने से अपने पति का आंतरिक वस्त्र लेकर उसमे आग लगा दें और राख को किसी चौराहे पर फैंक कर पैरों से रगड़ कर वापिस आजाएं.
  • होली जलते समय तीन अभिमंत्रित गोमती चक्र लेकर उस महिला का नाम लेकर थोडा सिन्दूर लगाकर होली की अग्नि में फैंक दें|पति का उस महिला से पीछा छूट जायेगा|
  • किसी अन्य महिला के पीछे आपके पति यदि आपका अपमान करते हैं तो किसी भी गुरूवार को तीन सो ग्राम बेसन के लड्डू ,आटेके दो पेड़े,तीन केले व इतनी ही चने की गीली दाल लेकर किसी गाय को खिलाये जो अपने बछड़े को दूध पिला रही हो|उसे खिला कर यह निवेदन करें की हे माँ,मैंने आपके बच्चे को फल दिया आप मेरे बच्चे को फल देना|कुछ ही दिन में आपके पति रस्ते में आ जायेंगे|
  • गुरूवार को केले पर हल्दी लगाकर गुरु के १०८ नामों के उच्चारण से भी पति की मनोवृति बदलती है|
  • केले के वृक्ष के साथ यदि पीपल के वृक्ष की भी सेवा कर सकें तो फल और भी जल्दी प्राप्त होता है|
  • गृह क्लेश दूर करने के लिए तथा आर्थिक लाभ के लिए गेँहू शनिवार को पिसवाना चाहिए|उसमे प्रति दस किलो गेँहू पर सो ग्राम काले चने डालने चाहिए|
  • यदि किसी महिला अथवा किसी अन्य कारण से आपको लग रहा है की आपका परिवार टूट रहा है अथवा तलाक तक की हालत पैदा हो गयी हैं तो ऐसे परिस्थिति से बचाव के लिए किसी शिव मंदिर में श्रावण मास में आप किसी विद्वान ब्राह्मण से ग्यारह दिन तक लगातार 'रुद्राष्टध्यायी' जिसे म्हारुदरी यग भी कहते हैं ,से अभिषेक करवाएं|
  • यदि स्त्री को श्वेत प्रदर ,मासिक धर्म में अनियमितता अथवा इसके होने पर कमर दर्द हो तो वह पीपल की जटाको गुरूवार की दोपहर में काट कर छाया में सुखा लें|जब जटा अच्छी तरह से सुख जाये तो उसे पीस कर २०० ग्राम दही में १० ग्राम जटा का चूर्ण का नियमित सात दिन तक सेवन करे तथा रात में सोते समय त्रिफला चूर्ण भी सादा जल से ले|सात दिन में इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी |
  • यदि किसी स्त्री का समय से पहले अर्थात ४२ वर्षायु से पहले ही मासिक रुक जाये तो उस स्त्री को पुन:मासिक धर्म आरम्भ करने के लिए इन्द्रायन की जड़ का योनी पर धुआं देने से लाभ प्राप्त होता है|
  • यदि किसी स्त्री अथवा कन्या को मासिक से पहले पेट में बहुत दर्द होता है,तो उसे रात में सोते समय मूंज की रस्सी से पेट बाँध लें,प्रात: उस रस्सी को किसी चौराहे पर फैंक देने से लाभ होता है.
  • यदि किसी स्त्री को मासिक धर्म के समय कमर में दर्द हो तो वह मासिक आरम्भ होने से तीन दिन पहले पीपल की जड़ वह पीपल की सुखी शाखा को काले कपडे में लपेट कर अपने तकिये के नीच रख लें.
  • यदि किसी महिला को पेट मैं किसी कारण से अधिक दर्द रहता है तो वह मंगलवार से अपने सिरहाने किसी ताम्बे के लोटे में जल रखे और प्रति उठाने खाली पेट उस जल का सेवन करें .इस प्रकार से हर प्रकार के पेट दर्द का निवारण हो जायेगा .
  • प्रसूता के पेट पर यदि केसर का लेप किया जाये तो भी प्रसव आसानी से हो जाता है .
  • प्रसव काल से कुछ ही समय पहले यदि प्रसूता को १०० ग्राम गोमूत्र पिलाया जाये तो प्रसव आसानी से हो जाता है .
  • विवाहित महिला को अपने परिवार की सलामती के लिए ही माँ दुर्गा चालीसा के साथ माँ के १०८ नाम अथवा ३२ नाम की माला का जाप करना चाहिए .
  • कभी किसी महिला को दान करने की इच्छा हो तो दान सामग्री में लाल सिन्दूर के साथ इतर की शीशी ,चने की दाल तथा केसर अवश्य रखें .इस से सुहाग की आयु में वृद्धि होती है.

सोमवार, 23 जुलाई 2012

ऋण-परिहारक प्रदोष-व्रत

‘प्रदोष व्रत’ के दिन अर्थात् कृष्ण-पक्ष एवं शुक्ल-पक्ष की त्रयोदशी (तेरस) तिथि को प्रातःकाल स्नानादि कर भगवान् शंकर का यथा-शक्ति पञ्चोपचार या षोडशोपचार से पूजन करें। फिर निम्नलिखित ‘विनियोग’ आदि कर निर्दिष्ट मन्त्र का यथाशक्ति २१, ११, १ माला या केवल ११ बार जप करे।
विनियोगः- ॐ अस्य अनृणा-मन्त्रस्य श्रीऋण-मुक्तेश्वरः ऋषिः। त्रिष्टुप् छन्दः। रुद्रो देवता। मम ऋण-परिहारार्थे जपे विनियोगः।
ऋष्यादि-न्यासः- श्रीऋण-मुक्तेश्वरः ऋषये नमः शिरसि। त्रिष्टुप् छन्दसे नमः मुखे। रुद्र-देवतायै नमः हृदि। मम ऋण-परिहारार्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे।
कर-न्यासः- ॐ अनृणा अस्मिन् अंगुष्ठाभ्यां नमः। अनृणाः परस्मिन् तर्जनीभ्यां नमः। तृतीये लोके अनृणा स्याम मध्यमाभ्यां नमः। ये देव-याना अनामिकाभ्यां नमः। उत पितृ-याणा कनिष्ठिकाभ्यां नमः। सर्वाण्यथो अनृणाऽऽक्षीयेम करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः।
अङग-न्यासः- ॐ अनृणा अस्मिन् हृदयाय नमः। अनृणाः परस्मिन् शिरसे स्वाहा। तृतीये लोके अनृणा स्याम शिखायै वषट्। ये देव-याना कवचाय हुम्। उत पितृ-याणा नेत्र-त्रयाय वौषट्। सर्वाण्यथो अनृणाऽऽक्षीयेम अस्त्राय फट्।
ध्यानः-
ध्याये नित्यं महेशं रजत-गिरि-निभं चारु-चन्द्रावतंसम्,
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशु-मृग-वराभीति-हस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममर-गणैर्व्याघ्र-कृत्तिं वसानम्,
विश्वाद्यं विश्व-बीजं निखिल-भय-हरं पञ्च-वक्त्रं त्रिनेत्रम्।।
अर्थात् भगवान् रुद्र पञ्च-मुख और त्रिनेत्र हैं। चाँदी के पर्वत के समान उनकी उज्ज्वल कान्ति है। सुन्दर चन्द्रमा उनके मस्तक पर शोभायमान है। रत्न-जटित आभूषणों से उनका शरीर प्रकाशमान है। अपने चार हाथओं में परशु, मृग, वर और अभय मुद्राएँ धारण किए हैं। मुख पर प्रसन्नता है। पद्मासन पर विराजमान हैं। चारों ओर से देव-गण उनकी वन्दना कर रहे हैं। बाघ की खाल वे पहने हैं। विश्व के आदि, जगत् के मूल-स्वरुप और समस्त प्रकार के भय-नाशक-ऐसे महेश्वर का मैं नित्य ध्यान करता हूँ।
उक्त प्रकार ध्यान कर भगवान् रुद्र का पुनः पञ्चोपचारों से या मानस उपचारों से पूजन कर हाथ जोड़कर निम्न प्रार्थना करे-
अनन्त-लक्ष्मीर्मम सन्निधौ सदा स्थिरा भवत्वित्यसि-
वर्धनेन नानाऽऽदृतः शत्रु-निवारकोऽहं भवामि शम्भौ !
अर्थात् हे शम्भो ! कभी समाप्त न होनेवाली लक्ष्मी मेरे पास सदा-स्थिर होकर रहे और मैं काम-क्रोधादि सब प्रकार के शत्रुओं को दूर करने में समर्थ बनूँ।
मन्त्र-जाप- “ॐ अनृणा अस्मिन्, अनृणाः परस्मिन्, तृतीये लोके अनृणा स्याम। ये देव-याना उत पितृ-याणा, सर्वाण्यथो अनृणाऽऽक्षीयेम।”
रुद्राक्ष या रक्त-चन्दन की माला से प्रातःकाल यथा शक्ति पूर्व निर्देशानुसार जप करें। यदि समर्थ हो, तो किन्हीं वेदपाठी ब्राह्मण द्वारा ‘षडंग-शत-रुद्रीय’ में उक्त मन्त्र का ‘सम्पुट’ लगाकर भगवान शंकर का अभिषेक करे और सम्पुटित ११ पाठ कराए। आवश्यकतानुसार ‘शिव-महिम्न-स्तोत्र’ में भी उक्त मन्त्र का ‘सम्पुट’ लग सकता है। अभिषेक के बाद पुनः पूजन एवं मन्त्र-जप कर, निम्न स्तोत्र का पाठ करे-
जय देव जगन्नाथ, जय शंकर शाश्वत। जय सर्व-सुराध्यक्ष, जय सुरार्चित ! ।।
जय सर्व-गुणानन्त, जय सर्व-वर-प्रद ! जय सर्व-निराधार, जय विश्वम्भराव्यय ! ।।
जय विश्वैक-विद्येश, जय नागेन्द्र-भूषण ! जय गौरी-पते शम्भो, जय चन्द्रार्ध-शेखर ! ।।
जय कोट्यर्क-संकाश, जयानन्त-गुणाकर ! जय रुद्र-विरुपाक्ष, जय नित्य-निरञ्जन ! ।।
जय नाथ कृपा-सिन्धो, जय भक्तार्त्ति-भञ्जन ! जय दुस्तर-संसार-सागरोत्तारण-प्रभो ! ।।
प्रसीद मे महा-भाग, संसारार्त्तस्य खिद्यतः। सर्व-पाप-क्षयं कृत्वा, रक्ष मां परमेश्वर ! ।।
मम दारिद्रय-मग्नस्य, महा-पाप-हतीजसः। महा-शोक-विनष्टस्य, महा-रोगातुरस्य च।।
महा-ऋण-परीत्तस्य, दध्यमानस्य कर्मभिः। गदैः प्रपीड्यमानस्य, प्रसीद मम शंकर ! ।।

शनिवार, 21 जुलाई 2012

कुंडली में विवाह संबंधी जानकारी के लिए द्वितीय, पंचम, सप्तम एवं द्वादश भावों का विश्लेषण करने का विधान है। द्वितीय भाव परिवार का है। पति-पत्नी परिवार की मूल इकाई हैं। सातवां भाव विवाह का होता है। प्राय: पापाक्रांत द्वितीय भाव विवाह से वंचित रखता है। संतान सुख वैवाहिक जीवन का प्रबल पक्ष है।

विवाह में बाधक ग्रह 
अधिकांश माता-पिता की यह इच्छा होती है कि उनके वयस्क बेटी या बेटे की शादी समय से हो जाए। लेकिन लाख प्रयास करने के बाद भी कभी-कभार बेटी या बेटे का रिश्ता तय नहीं हो पाता। होता भी है, तो बहुत परेशानी आती है। ऎसा कुछेक लोगों के साथ इसलिए होता है कि उनकी कुंडली में विवाह बाधक ग्रह योग होते हैं। आइए इस मुद्दे पर विचार करें कि शादी-ब्याह में कौन से ग्रह बाधक होते हैं।

कुंडली में विवाह संबंधी जानकारी के लिए द्वितीय, पंचम, सप्तम एवं द्वादश भावों का विश्लेषण करने का विधान है। द्वितीय भाव परिवार का है। पति-पत्नी परिवार की मूल इकाई हैं। सातवां भाव विवाह का होता है। प्राय: पापाक्रांत द्वितीय भाव विवाह से वंचित रखता है। संतान सुख वैवाहिक जीवन का प्रबल पक्ष है। इसके लिए पंचम भाव का विश्लेषण आवश्यक है। सप्तम भाव तो मुख्यत: विवाह से संबंधित भाव है और द्वितीय भाव शय्या सुख के लिए विचारणीय है। इन भावों में किन ग्रहों से विवाह बाधा उत्पन्न होती है, देखें-
 
शनि से: शनि-सूर्य संयुक्त रू प से लग्न में हो, तब विवाह में बाधा आएगी। शनि लग्न में और चंद्रमा सप्तमस्थ हो, तो शादी देरी से होगी। शनि और चंद्रमा संयुक्त रू प से सप्तमस्थ हो अथवा नवांश लग्न से सप्तमस्थ हो, तो विवाह में विलंब होता है।

शुक्र से: शुक्र और चंद्रमा की सप्तम भाव में स्थिति चिंतनीय है। यदि शनि व मंगल उनसे सप्तम हो, तो विवाह विलंब से होगा और यदि यह योग बृहस्पति से दृष्ट हो, तो भी विवाह में पर्याप्त विलंब होता है।
 

वक्री ग्रह: सप्तम भाव में यदि वक्री ग्रह स्थित हो। सप्तमेश वक्री हो अथवा वक्री ग्रह या ग्रहों की सप्तम भाव या सप्तमेश अथवा शुक्र पर दृष्टि हो या शुक्र स्वयं वक्री हो, तब शादी-ब्याह होने में परेशानी आती है। यदि द्वितीय भाव में कोई वक्री ग्रह स्थित हो या द्वितीयेश स्वयं वक्री हो अथवा कोई वक्री ग्रह द्वितीय भाव या द्वितीयेश को देखता हो, तो भी विवाह विलंब से होता है।
 

बृहस्पति और शनि: यदि सप्तमेश या शुक्र किसी कन्या की कुंडली में बृहस्पति या शनि से सप्तमस्थ हो अथवा युति हो, तो विवाह में विलंब होता है।
 
शनि और बृहस्पति दोनों ही मंद गति से भ्रमण करने वाले ग्रह हों। शनि से युति या सप्तमस्थ होने की स्थिति में विवाह विलंब से होता है।

मंगल और शनि: यदि मंगल और शनि, शुक्र और चंद्रमा से सप्तमस्थ हो, तब विवाह में विलंब होता है। शनि और मंगल तुला लग्न वालों के लिए क्रमश: द्वितीयस्थ व अष्टमस्थ हो, तो विवाह में बहुत विलंब होता है। विवाह का सुख नहीं मिलता।
 
ज्योतिष शास्त्र में बाधक ग्रह सम्बंधी उपचार करने से विवाह के योग शीघ्र बनना संभव है। उपचार सम्बंधी जानकारी किसी विशेषज्ञ से ले लें।

शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

शनि का राशि परिवर्तन होते ही लोग भयभीत हो उठते हैं कि अब शनिदेव न जाने क्या गजब ढाएगे? जिन लोगों की कुण्डली नहीं बनी होती उनके लिए यह बड़ा प्रश्न होता है कि शनि बुरा है या अच्छा यह कैसे जाने... शनि की प्रतिकूल अवस्था हमारी निदचर्या को भी प्रभावित करती है, जिसे नोट करके जाना जा सकता है कि कही शनि प्रतिकूल तो नहीं।


(१) यदि शरीर में हमेशा थकान व आलस भरा लगने लगे।
(२) नहाने-धोने से अरूचि होने लगे या नहाने का वक्त ही न मिले।
(३) नए कपड़े खरीदने या पहनने का मौका न मिले।
(४) नए कपड़े व जूते जल्दी-जल्दी फटने लगे।
(५) घर में तेल, राई,   दाले फैलने लगे या नुकसान होने लगे।
(६) अलमारी हमेशा अव्यवस्थित होने लगे।
(७) भोजन से बिना कारण अरूचि होने लगें
(८) सिर व पिंडलियों में, कमर में दर्द बना रहे।
(९) परिवार में पिता से अनबन होने लगे।
(१०) पढ़ने-लिखने से, लोगों से मिलने से उकताहट होने लगे, चिड़चिड़ाहट होने लगे।

यदि ये लक्षण आप स्वयं में महसूस करें, तो शनि का उपाय करें-
तेल, राई, उड़द का दान करें। पीपल के पेड़ को सीचें, दीपक लगाएँ। हनुमान जी व सूर्य की आराधना करें, मांस-मदिरा का त्याग करें, गरीबों की मदद करें, काले रंग न पहनें, काली चीजें दान करें।
साढ़े साती का नाम ही हमारी नींद उड़ाने के लिए पर्याप्त होता है। शनि वैसे ही कठोर माना जाता है, उस पर साढ़े सात वर्ष उसका हमारी राशि से संबंध होना मुश्किल ही प्रतीत होता है।
वास्तव में साढ़े साती में आने वाले अशुभ फलों की जानकारी लेकर उनसे बचने हेतु अपने व्यवहार में आवश्यक परिवर्तन लाए जाएं तो साढ़ेसाती की तीव्रता कम की जा सकती है। साढ़ेसाती में मुख्यत: प्रतिकूल बातें क्या घटती हैं?
आइए देखें- पारिवारिक कलह, नौकरी में  परेशानी, कोर्ट कचहरी प्रकरण, रोग, आर्थिक परेशानी, काम न होना, धोखाधड़ी आदि साढ़ेसाती के मूल प्रभाव है। इनसे बचने के पूर्व उपाय करके, नए खरीदी-व्यवहार टालकर, शांति से काम करके इन परेशानियों को टाला या कम किया जा सकता है। वैसे भी साढ़ेसाती के सातों वर्ष खराब हो, ऐसा नहीं है। जब शनि मित्र राशि या स्व राशि में हो, गुरु अनुकूल हो तो अशुभ प्रभाव घटता है।
मूल कुंडली में शनि ३,६,११ भाव में हो, या मकर, कुंभ, वृषभ, तुला, मिथुन या कन्या में हो तो साढ़ेसाती फलदायक ही होती है। यही नहीं यदि शनि पर गुरु की शुभ दृष्टि हो तो भी साढ़ेसाती से परेशानी नहीं होती। कुंडली में बुध-शनि जैसी शुभ युति हो तो कुप्रभाव नहीं मिलते।

गुरुवार, 19 जुलाई 2012

राशि बताएगी आपकी लव एंड सेक्‍स लाइफ ग्रह-नक्षत्रों का असर न केवल जीवन पर पड़ता है, बल्कि इंसान के प्रेम और सेक्‍स पर भी यह प्रभाव डालता है। लव व सेक्‍स लाइफ पर राशि के इस प्रभाव को आइए देखते हैं-


मेष राशि के लडकों का सेक्स के प्रति लगाव अधिक होता है, लेकिन लडकियों का बहुत कम। मेष राशि के लोग लाल रंग पर कुछ ज्‍यादा ही फिदा हो जाते हैं। इस राशि के लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य जीवन के लिए साग-सब्जी, दूध व अंकुरित भोजन का सेवन अधिक करना चाहिए।

वृष राशि के लोग स्वभाव से बहुत ही रोमांटिक होते है। लडकियों को रोमांटिक संगीत सुनना और फिल्में देखना पसंद होता है जबकि लड़कों का सेंस ऑफ हयूमर गजब का होता है। इस राशि के लोगों को अच्‍छी सेहत के लिए बबूल व गोंद का हलवा तथा उडद की दाल का सेवन करना चाहिए।

मिथुन राशि का स्वामी बुध है। इस राशि के लड़के जल्‍दी ही आकर्षित हो जाते हैं जबकि इस राशि की लडकियां सरप्राइज पसंद होती हैं। इस राशि की लड़कियों को शादी की तस्‍वीर दिखाकर या रोमांटिक यादों से जुडी जगह पर ले जाकर अच्‍छा सरप्राइज दिया जा सकता है। इस राशि के लोगों को अपनी सेहत के लिए उडद की दाल से बनी चीजें तथा भोजन में गोंद का प्रयोग करना चाहिए।

कर्क राशि के लोग मनचले होते है। इस राशि के लोगों का मूड तुरंत रोमांटिक हो जाता है, खासकर एकांत स्‍थान पर। इस राशि के पुरुषों का अफेयर कई स्त्रियों से समय-समय पर या कई बार एक साथ ही चलता रहता है। इस राशि की लडकियों को कैंडल लाईट डिनर बहुत पसंद है। अच्‍छी सेहत के लिए इस राशि वाले लोग छुहारे व अक्ष्रवगंध का सेवन अवश्य करें।

सिंह राशि का स्वामी सूर्य है। इन लोगों को दिखावा बहुत भाता है। उचित माहौल में ही इनका मूड बनता है। लडकियों का मिजाज कुछ परिवर्तित होता है। बिस्‍तर पर भी इनका मूड माहौल को देखकर ही बनता है। रात में नहाना, परफ्यूम लगाना, पार्टनर की तारीफ करना, उनके अंगो से छेड़छाड़ करना जैसी बातें ऐसे लोगों के लिए सही माहौल तैयार करते हैं। भोजन में साठी के चावल, अंकुरित दाल का प्रयोग करें।

कन्या राशि के लोगों को हर तरह के सेक्स में आनंद आता हैं। इस राशि के लडके सेक्स के दौरान छेडखानी पसंद करते हैं। लडकियों का भी सेक्स की तरफ पूरा झुकाव होता है। इन्‍हें भोजन में गोंद, बादाम व छुहारे का सेवन नियमित करना चाहिए।

तुला राशि का स्वामी शुक्र है , जो काम शाक्ति का द्योतक है। इस राशि के लडको का स्वभाव बडा ही रोमांटिक होता है। इस राशि की लडकियों का सेक्स की तरफ रूझान कम होता है। ऐसे लोगों का मूड बनाने के लिए डिनर, चुटकले, चुंबन, एसएमएस आदि का उपयोग किया जा सकता है। इन्‍हें मेथी के लड्डू व बिनौले का सेवन करना चाहिए।

वृश्चिक राशि के लोग लव व सेक्‍स लाइफ को तरोताजा करने के लिए नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। अपने जीवनसाथी को आकर्षित करने के लिए नए-नए करतब करते हैं। इस राशि की लडकियों को भी रोमांस के मूड में लाने के लिए कुछ नए की जरूरत होती है। इस राशि के लोगों को अपने भोजन में खट्टा कम खाना चाहिए।

धनु राशि के लोग धार्मिक विचारों वाले होते हैं। इन लोगों को एकांत में रोमांस करना पसंद होता है। इन्‍हें रोमांस के लिए तैयार करने में पार्टनर को सेक्सी ड्रेस व अदाओं का सहारा लेना चाहिए। इन्‍हें अपने घर या शहर की जगह किसी हिल स्टेशन पर जाकर वादियों में रोमांस करना पसंद होता है। इस राशि की लडकियां रोमांटिक संगीत, फिल्‍म और बातों को पसंद करती हैं।

मकर राशि के लोगों को प्यार भरी बातों से अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। इस राशि के लोग सेक्स करने के दौरान बात करना पसंद नहीं करते। इस राशि की लड़कियां रोमांटिक बातें करने और डेट पर जाने के बाद ही रोमांस के मूड में आती हैं। भोजन में इन्‍हें अधिक गर्म चीजें नहीं खानी चाहिए।

कुंभ राशि का स्वामी शनि है। इस राशि के लड़के सेक्‍स में अतिरिक्‍त की चाह रखते हैं। इस राशि की लड़कियां एकांत स्‍थान में अच्‍छे मूड में आती हैं। इस राशि के लोगों को गर्भ भोजन करना चाहिए।

मीन राशि के लडके शीघ्र आकर्षित होती हैं। लडकियों को आंखों में आंखें डालकर देखना व बातें करना अच्छा लगता है। लड़कियों को सरप्राइज गिफ्ट लेना पसंद होता हैं।

नाम, प्रकृति, और / लग्न लग्न के प्रभाव

मेष लग्न लग्न मेष
  मेष राशि के साथ लोगों की बढ़ती कदम पर हमेशा बेचैन है और लगातार कर रहे हैं. क्योंकि उनके सत्तारूढ़ ग्रह मंगल ग्रह है, वे जो उन्हें साहसी, स्वतंत्र, और अपने सबसे अच्छे रूप में प्रेरित करता है ऊर्जा और उत्साह का एक बड़ा सौदा है, लेकिन गुस्सा और उनके worst.They पर उग्र स्वभाव का एक तेज बुद्धि है, लेकिन करने के लिए तय हो जाते हैं अपने ज्ञान और समझ के पैटर्न में. इन लोगों को पहल करने से प्यार है और नेतृत्व से पालन करने के लिए पसंद करते हैं. वे महान नेता बन जाते हैं, अगर वे उनके अस्थिर tempers को नियंत्रित करने के लिए प्रबंधन कर सकते हैं. उनके विचारों और मूड बदलने के लिए, आसानी से कर सकते हैं और वे भी लंबे समय के लिए एक परियोजना के लिए छड़ी की संभावना नहीं है.
  वृषभ लग्न (वृषभ लग्न)
इन व्यक्तियों अक्सर बहुत भाग्यशाली है और उनके बुनियादी एक जगह में रहने की प्रवृत्ति की वजह से समृद्ध कर रहे हैं, अपने पर ध्यान केंद्रित रहने के लक्ष्यों, और संपत्ति जमा. वे व्यावहारिक, सर्वजनोपयोगी मामलों को अच्छी तरह से संबंधित है, और एक उत्कृष्ट बुद्धि और खुद को अभिव्यक्त करने की क्षमता है. वे एक प्रमुख प्रवृत्ति के कुछ रूढ़िवादी और जिद्दी क्या है, और परिवर्तन की किसी भी प्रकार स्वागत नहीं है. रोगी और कड़ी मेहनत, वे भविष्य के लिए त्याग करने को तैयार हैं. उनके काम के एक आदर्शवादी स्वाद के साथ कुछ दीर्घकालिक प्रक्रिया है, जहां एक विचार सफलता की कुंजी है को शामिल कर सकते हैं. वे पितृत्व के दायरे में बाधाओं का सामना कर सकते हैं. वे उन्हें उठाने चुनौतियों के साथ समस्याओं या बच्चों को प्राप्त करने में देरी, या सौदा का अनुभव हो सकता है. उनके सत्तारूढ़ ग्रह शुक्र के प्रभाव के तहत, वे सौंदर्य, सुख, और सद्भाव के बहुत शौकीन हो सकता है, के रूप में विपरीत लिंग के रूप में अच्छी तरह से हो सकता है. लेकिन उनकी शादी के साथी एक थोड़ा तेज और तीव्र होने की संभावना है. शायद साथी या साथी के साथ असहमति होने की एक प्रवृत्ति किसी भी तरह अपने जीवन में कुछ समस्याओं के कारण हो सकता है.
मिथुन लग्न / मिथुन लग्न
मिथुन व्यक्तियों को साहित्य, संगीत, नृत्य, या फिल्म के क्षेत्रों में उत्कृष्टता, और आम तौर पर हो सकता है बहुत निवर्तमान. उनकी हास्य की महान भावना उन्हें सामाजिक घटनाओं पर स्वागत उपस्थिति बनाता है. उनके भाषण काफी भावुक हो सकते हैं, और उनके अर्थपूर्ण सामना करने के लिए दूर दे कि वे कैसे उनके स्पष्ट नरम पक्ष के बावजूद feel.In जाता है, वे एक उल्लेखनीय साहस और उद्यमी भावना दिखा सकते हैं. उनके कैरियर के लिए शिक्षा या समग्र ज्ञान के कुछ शाखा के दायरे में होने की संभावना है. नई परियोजनाओं की शुरुआत मिथुन मूल निवासी के लिए आसान है, लेकिन अंत करने के लिए काम और समय सीमा बैठक difficult.They तेजी से ऊब मिलता है कि चुनौती या उनके उज्जवल बुद्धि मनोरंजन के असफल विषयों में अपनी रुचि खो सकता है हो सकता है.
Karka लग्न / लग्न कैंसर
इन मूल निवासी बहुत संवेदनशील और बुद्धिमान हैं, लेकिन वे कभी कभी नर्वस हैं या आसानी से बल दिया हो सकता है. अत्यधिक भावनात्मक और अक्सर मानसिक, वे खुशी से प्यार है और संपत्ति के अधिग्रहण की संभावना है. उनकी सबसे बुरा में, वे कुछ कंजूस हो सकता है, पर सबसे अच्छा, वे तरह, सहायक, और ईमानदार दोस्त हो सकता है. उनके कोमल और जोरदार प्रकृति के बावजूद, वे सोच और शक्ति के साथ अभिनय करने में सक्षम हैं. हालांकि कैंसर के मूल निवासी अक्सर शादी में अशुभ हैं, वे संलग्न हैं और अपने बच्चों और परिवार के लिए समर्पित है. वे आम तौर पर एक साथी है, जो उन्हें उम्र या समग्र परिपक्वता में बढ़कर है. शादी
सिंह लग्न / लियो लग्न
मेष प्रकार की तरह, लियो एक उग्र स्वभाव है जो साहस और उद्देश्य के एक मजबूत भावना पैदा करता है, लेकिन जो भी क्रोध बढ़ जाती है और गर्म करने के लिए जन्म देता है गुस्सा.लियो बढ़ती लोग अक्सर महत्वाकांक्षी के रूप में अच्छी तरह से, लेकिन अपने उद्देश्यों को साकार करने के लिए संघर्ष हो सकता है. वे आम तौर पर हंसमुख, गर्म दिल, ईमानदार, और कुछ रूढ़िवादी रहे हैं. वे अक्सर ज्ञान के अधिग्रहण के लिए एक जुनून है. सुखी विवाहित जीवन आमतौर पर देरी हो रही है या साथी कुछ दूर है. उम्र, संस्कृति, या शारीरिक रूप में
कन्या लग्न / कन्या लग्न
कन्या मूल निवासी अत्यधिक कुशल और बहुत चालाक हैं, वे आत्मविश्वास की कमी हो सकती है. उनकी स्पष्ट भेदभाव के बावजूद, वे कभी कभी अपने emotions.Mercury के प्रभाव से दूर हो सकता है किया जाना है उन्हें सरल, राजनयिक, और चतुर बना सकते हैं, और उन्हें जीवन में उच्च वृद्धि करने के लिए सक्षम है. हालांकि, वे बेहद संवेदनशील होते हैं और बहुत ज्यादा परेशान तनाव से पीड़ित हो सकता है. कई बार वे विवरण पर चिंता के साथ अभिभूत हो और एक मामले की बड़ी तस्वीर देखने के लिए असफल.
तुला लग्न / लग्न तुला
  तुला के मूल निवासी बढ़ती भी वासना में डूबे हुए किया जा रहा है की एक प्रतिष्ठा है, लेकिन वे भी हैं तर्कशील, सशक्त, और clarity.They साथ मानव स्वभाव देख कुशल आदर्शवादी बजाय व्यावहारिक हैं, और उनके आदर्शों की शक्ति दूसरों पर एक महान है, शायद यह भी कृत्रिम निद्रावस्था का प्रभाव फिराना कर सकते हैं. ऐसे मामलों में, यह मुश्किल है उन लोगों के साथ कारण है. शुक्र के प्रभाव के कारण, वे सुंदरता और प्यार संगीत और कला की सराहना करते हैं.
Vrischika लग्न / लग्न वृश्चिक
  इन लोगों को कुछ व्यंग्यात्मक और हठीला हो सकता है, हालांकि वे भी आध्यात्मिक या मनोगत कला, के रूप में अच्छी तरह से अधिक वैज्ञानिक चिंताओं में कुशल हो सकता है सकते हैं हालांकि प्रकृति द्वारा sensualists के, वे भी उनकी प्रवृत्ति को नियंत्रित करने और खुद को अनुशासित करने में अच्छा कर रहे हैं. वे उत्साह और एक चुनौती से प्यार है, वे अपने स्वयं के वकील रखने के लिए और दूसरों के द्वारा आसानी से प्रभावित नहीं कर रहे हैं.
धनु लग्न (धनु लग्न)
  ठेठ धनु बढ़ती व्यक्तित्व धर्म और दर्शन को प्यार करता है, लेकिन इन मामलों में पीढ़ी रूढ़िवादी हो सकता है. सक्रिय, उत्साही, और उद्यमी, इन व्यक्तियों को भी कुछ हद तक परेशान हो सकता है. वे बेहद ईमानदार और स्वभाव से भी विनम्र हैं, पाखंड और छिछलापन despising. वे अक्सर अपनी भावनाओं और कामुक इच्छाओं पर अच्छा नियंत्रण है.

   
मकर / लग्न मकर लग्न
शनि के इन मूल निवासी दृढ़ता, प्रयोजन के एक मजबूत भावना है, और उदासीन शांति के साथ जीवन की कठिनाइयों को सहन करने की क्षमता दे सकता है. मकर राशि मूल निवासी हैं, व्यावहारिक, महत्वाकांक्षी और responsible.They परिवर्तन का डर नहीं है और देखने के अपने अंक में लचीला कर रहे हैं. वे वित्त से निपटने में अच्छा कर रहे हैं, और संरक्षण हो जाते हैं. वे उनके उनके लिए कड़ी मेहनत और लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रहना करने की क्षमता के कारण उपक्रमों में कुशल और अक्सर सफल रहे हैं. उनके व्यावहारिक आकांक्षाओं है कि उन्हें महान हाइट्स करने के लिए नेतृत्व कर सकते हैं, हालांकि वे उनकी उपलब्धियों में थोड़ा खुशी मिल सकता है. उनके पूर्णतावाद शादी में कठिनाइयों का कारण हो सकता है. अपने सबसे अच्छे रूप में, वे दार्शनिक और उदार हैं.
कुंभ लग्न / कुंभ लग्न
दार्शनिकों और प्रकृति द्वारा आदर्शवादी, महान साहित्यिक या मिलनसार कौशल के साथ इष्ट, राशि अक्सर उनके विचारों के मामले में दुनिया पर अपनी छाप बना. व्यक्तित्व के रूप में वे डरपोक, झगड़ालू, और लंबे समय से उनके जीवन पर शनि जोरदार प्रभाव के कारण दुखी हो सकता है. उनके स्वास्थ्य नाजुक हो सकता है. अपने सबसे अच्छे रूप में, वे महान मानवीय प्रवृत्ति के पास है.
मीणा लग्न / लग्न मीन
इन मूल निवासी गहरा आध्यात्मिक है, हालांकि उनके आध्यात्मिकता आमतौर पर बहुत ही रूढ़िवादी है और वे मुख्यधारा के असुविधाजनक कदम बाहर महसूस कर सकते हैं. दूसरों के लिए और अक्सर विश्वास में कमी पर निर्भर है, वे अक्सर रहस्यमय और प्रकृति द्वारा मानसिक हैं. आमतौर पर ईमानदार और निष्पक्ष दिमाग, वे नम्रता और दयालुता में वे क्या सशक्तता या व्यक्तिगत शक्ति में कमी. यह महत्वपूर्ण है हमेशा एक व्यक्ति कुंडली में सवाल में घर की अद्वितीय स्थिति पर विचार लग्न (Lagna) के आधार पर किसी भी निष्कर्ष करने के लिए कूद से पहले. प्रत्येक व्यक्ति के वाक्य और बयान को आसानी से एक विशेष चार्ट में कुछ अन्य कारक द्वारा counteracted के किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, हम वृषभ जन्म के मामले में कहा कि व्यक्ति तथ्य बुध द्वितीय हाउस नियमों पर आधारित बातूनी हो जाएगा. इस बयान, निरस्त किया जाएगा अगर पारा बारहवीं हाउस नुकसान के घर में रखा गया है

मंगलवार, 17 जुलाई 2012

कारोबारी सफलता


कारोबारी सफलता के लिए प्रत्येक अमावस्या के दिन अपने पूरे घर की सुंदर सफाई करें। तत्पश्चात परिवार के सभी सदस्य नहा धोकर शुद्ध वस्त्र धारण करके एक जगह एकत्रित होकर अपने बीच में चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछा दें। वस्त्र के ऊपर 11 मुट्ठी मसूर की दाने रखकर उसके ऊपर एक चौमुखा दीपक प्रज्ज्वलित कर रख दें। तत्पश्चात घर के सभी सदस्य सुंदर काण्ड का पाठ करें। संपूर्ण कष्टों से छुटकारा मिलेगा।
* नया कारोबार, नई दुकान या कोई भी नया कार्य करने से पूर्व मिट्टी के पांच पात्र लें जिसमें सवाकिलो सामान आ जाएं। प्रत्येक पात्र में सवा किलो सफेद तिल, सवा किलो पीली सरसों, सवा किलो उड़द, सवा किलो जौ, सवा किलो साबुत मूंग भर दें। मिट्टी के ढक्कन से ढंक कर सभी पात्र को लाल कपड़े से मुंह बांध दें और अपने व्यवसायकि स्थल पर इन पांचों कलश को रख दें। वर्ष भर यह कलश अपनी दुकान में रखें ग्राहकों का आगमन बड़ी सरलता से बढ़ेगा और कारोबारी समस्या का निवारण भी होगा। एक वर्ष के बाद इन संपूर्ण पात्रों को अपने ऊपर से 11 बार उसार कर बहते पानी में प्रवाह कर दें। और नये पात्र भरकर रख दें।
* यदि आपको अपने कार्य में अनावश्यक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बार-बार कार्य में रूकावट आ रही हो तो आप अपने घर में शनिवार के दिन तुलसी का पौधा लगाएं और हर रोज सुबह-शाम घी का दीपक जलाने से कार्य में बार-बार आने वाली समस्या का निवारण बड़ी सरलता से हो जाएगा।
* अगर कारोबार में अनावश्यक परेशानी आ रही हो, लाभ मार्ग अवरोध हो रहा हो तो हर रोज शाम को गोधूलि वेला में यानि साढ़े पांच से छ: बजे के बीच में अपने पूजा स्थान में श्री महालक्ष्मी की तस्वीर स्थापित करके या तुलसी के पौधे के सामने में गो घृत का दीपक जलाएं। दीपक प्रज्ज्वलित करने के बाद उसक अंदर अपने इष्ट देव का ध्यान करते हुए एक इलायची डाल दें। ऐसा नियमित 186 दिन करने से व्यापार में लाभ होगा। दीपक और इलायची हमेशा नया प्रयोग में लाएं।
* कारोबार में समस्या आ रही हो, व्यवसाय चल नहीं रहा हो और कर्ज से परेशान हो रहे हो तो इस प्रयोग को करके देखें। यह प्रयोग किसी भी महीने शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार के दिन शुरू करें और नियमित 186 दिन करें। हर रोज स्नानोपरांत पीपल, बरगद या तुलसी के पेड़ के नीचे चौमुखा देसी घी का दीपक जलाएं। और शुद्ध कंबल का आसन बिछाकर एक पाठ विष्णु सहस्रनाम का करें तथा 11 माला ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र की जाप करें। मां लक्ष्मी की कृपा होगी और कारोबारी समस्या का निवारण हो जाएगा।
* यदि आपके व्यवसाय में बाधाएं चल रही हों तो आपको अपने कार्यस्थल पर पीले रंग की वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए तथा पूजाघर में हल्दी की माला लटकानी चाहिए। भगवान लक्ष्मी-नारायण के मंदिर में लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
* व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ की प्राप्ति नहीं हो रही हो तो किसी भी शनिवार के दिन नीले कपड़े 21 दानें रक्त गुंजा के बांधकर तिजोरी में रख दें। हर रोज धूप, दीप अवश्य दिखाएं। अपने इष्टदेव का ध्यान करें। ऐसा नियमित करने से व्यापार में लाभ मिलेगा और सफलता भी प्राप्त होगी।
* कारोबारी, पारिवारिक, कानूनी परेशानियों से छुटकारा दिलाने वाला अमोध प्रयोग
आप अपना काम कर रहे हो कठिन परिश्रम के बावजूद भी लोग आपका हक मार देते हैं। अनावश्यक कार्य अवरोध उत्पन्न करते हों। आपकी गलती न होने के बावजूद भी आपको हानि पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा हो तो यह प्रयोग आपके लिए बहुत ही लाभदायक सिध्द होगा। रात्रि में 10 बजे से 12 बजे के बीज में यह उपाय करना बहुत ही शुभ रहेगा। एक चौकी के ऊपर लाल कपड़ा बिछा कर उसके ऊपर 11 जटा वाले नारियल। प्रत्येक नारियल के ऊपर लाल कपड़ा लपेट कर कलावा बांध दें। इन सभी नारियल को चौकी के ऊपर रख दें। घी का दीपक जला करके धूप-दीप नेवैद्य पुष्प और अक्षत अर्पित कर। नारियल के ऊपर कुमकुम से स्वस्तिक बनाए और उन प्रत्येक स्वस्तिक के ऊपर पांच-पांच लौंग रखें और एक सुपारी रखें। माँ भगवती का ध्यान करें। माँ को प्रार्थना करें कष्टों की मुक्ति के लिए। कम्बल का आसन बिछा कर ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:11 माला करें, तत्पश्चात नारियल सहित समस्त सामग्री को सफेद कपड़े में बांध कर अपने ऊपर से 11 बार वार कर सोने वाले पलंग के नीचे रख दें। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में बिना किसी से बात किए यह सामग्री कुएं, तालाब या किसी बहते हुए पानी में प्रवाह कर दें। कानूनी कैसी भी समस्या होगी उससे छुटकारा मिल जाएगा।
* ऋण मुक्ति और धन वापसी के लिये किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार के दिन प्रदोष काल में यह पूजा प्रारंभ करें। किसी भी प्राण प्रतिष्ठित शिव मंदिर में जाकर श्रद्धापूर्वक शिव की उपासना करें। शिव पूजन के उपरांत अपने सामने दो दोने रख दें। एक दोने में यानी बायें हाथ वाले दोनें में 108 बिल्वपत्र पीले चंदन से प्रत्येक बिल्व पत्र में ॐ नम:शिवाय लिखकर रख दें। तत्पश्चात शुद्ध आसन बिछाकर एक बिल्वपत्र अपने दाहिनी हाथ में लें और इस ॐ ऋणमुक्तेश्वर महादेवाय नम:। मंत्र का जाप करें। और दाहिने हाथ वाले दोने में बिल्व पत्र को रख दें। ऐसा 108 बार करें। जाप पूरा होने के उपरांत एक पाठ ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का करें। साथ ही सर्वारिष्ट शान्त्यर्थ शनि स्तोत्र का पांच पाठ भी करें। ऐसा नियमित 40 दिन तक पूजा करने से ऋण से छुटकारा मिल जाएगा।


* आप अपने कारोबार में कर्जे से डूबे जा रहे है रात-दिन मेहनत करने के उपरांत भी कर्जा उतरने का नाम ही नहीं ले रहा है तो यह प्रयोग आपके लिये बहुत ही अनुकूल व फायदेमंद रहेगा। किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथमा के दिन नित्यक्रम से निवृत्त होकर स्नानोपंरात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और अपने पूजा स्थान में यह पूजा प्रारंभ करें। 6 इंच लम्बी गूलर की पेड़ की जड़ ले उसके ऊपर 108 बार काले रंग का धागा ॐ गं गणपतये नम:मंत्र का जाप करते हुये लपेटे। भगवान गणेश जी से ऋण मुक्ति की प्रार्थना करें। 108 चक्र होने के बाद इस लकड़ी को स्वच्छ थाली में पीला वस्त्र बिछाकर रख दें। तत्पश्चात श्रद्धानुसार धूप,दीप, नैवद्य, पुष्प अर्पित करें। घी का दीपक प्रज्जवलित कर उसमें एक इलायची डाल दें। शुद्ध आसन बिछाकर अपने सामने हल्दी से रंगे हुये अक्षत रख लें। अपने हाथ में थोड़े से अक्षत लें ॐ गं गणपतये ऋण हरताये नम:मंत्र का जाप करके अक्षत गूलर की लकड़ी के ऊपर छोड़ दे। ऐसा 108 बार करें। अगले दिन यह प्रक्रिया पुन:दोहरायें। ऐसा नवमी तक पूजन करें। नवमी के दिन रात में सवा ग्यारह बजे पुन:एक बार पूजन करें। ऋण हरता गणपति की 11 माला जाप करें। तत्पश्चात इस लकड़ी को अपने ऊपर से 11 बार उसार कर के अपने घर के किसी कोने में गड्डा खेंद कर दबा दे। उसके ऊपर कोई भारी वस्तु रख दें। ऐसा करने से कर्ज से छुटकारा मिल जायेगा।


* किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार के दिन गेहूं के सवा किलो आटा में सवा किलो गुड़ मिलाकर उसके गुलगुले या पूएं बनाएं। शाम के समय हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर घोलकर अभिषेक करने के उपरांत घी का दीपक जलाएं और वहीं बैठकर हनुमान चालीसा के 7 पाठ करें। तत्पश्चात हनुमान जी को इन गुलगुले और पूएं का भोग लगाएं और गरीब व जरूरतमंद व्यक्तियों को बांट दें। ऐसा 11 मंगलवार करें, ऋण से छुटकारा मिलेगा।


* ऋण मुक्ति के लिए उपाय सर्वप्रथम पांच गुलाब के फूल लाएं। ध्यान रहे कि उनकी पंखुड़ी टूटी हुई न हो। तत्पश्चात सवा मीटर सफेद कपड़ा, सामने रचो कर बिछाएं और गुलाब के वार फूलों को चारों कोनों पर बांध दें। फिर पांचवा गुलाब मध्य में डालकर गांठ लगा दें। इसे गंगा, यमुन और सरस्वती नदियों में प्रभावित करें। प्रभुकृपा से ऋण मुक्ति और घर में सुख समृध्दि की प्राप्ति होती है।
* व्यवसायिक परेशानी हल के लिये दीवाली के दिन नित्यकर्म से निवृत होकर स्नानोपरांत अपने पूजा स्थान में लक्ष्मी बीसा यंत्र एवं कुबेर यंत्र की श्रद्धापर्वूक स्थापना करने के उपरांत धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प और अक्षत से पंचोपचार पूजन करें। तत्पश्चात शुद्ध आसन बिछाकर स्फटिक की माला पर 11 माला इस ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्यादि पताये धन धान्य समृद्धि में देही दापय दापय स्वाहा मंत्र की जाप करें। संपूर्ण व्यावसायिक परेशानियों का निवारण होगा। हर रोज इस मंत्र की सुबह-शाम एक माला जाप करने से अवश्य धन में वृद्धि होगी।


* व्यापार में घाटा हो रहा हो या काम नहीं चल पा रहा हो, तो आप एक चुटकी आटा लेकर रविवार के दिन व्यापार स्थल या अपनी दुकान के मुख्य द्वार के दोनों ओर थोड़ा-थोड़ा छिड़क दें, साथ में कहें- जिसकी नजर लगी है उसको लग जाये। बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला। यह क्रिया शुक्ल पक्ष में ही करें। संभव हो तो प्रयत्न करें कि इस क्रिया को करते हुए आपको कोई न देखे। गुप्त रूप से यह क्रिया करने पर व्यापार का घाटा दूर होने लगता है। इसके अलावा व्यापार स्थल में मकडिय़ों के जाले व्यापार की वृद्घि को रोकते हैं। अत: व्यापार में बरकत के लिए प्रत्येक शनिवार को दुकान की सफाई आदि करते समय मकड़ी के जालों को अवश्य हटा देना चाहिए।


* जिन उद्योगपतियों या व्यापारियों को काफी प्रयास और अथक परिश्रम करने के बावजूद बिक्री में वृध्दि नहीं हो पा रहा हो तो यह उपाय शुक्ल पक्ष में गुरुवार से प्रारम्भ करें और प्रत्येक गुरुवार को इस क्रिया को दोहराते रहें। घर के मुख्य द्वार के एक कोने को गंगाजल से शुध्द कर लें या धो लें। शुध्द किए गए स्थान पर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और उस पर थोड़ा दाल और गुड़ रख दें। साथ ही एक घी का दीपक जला दें। ध्यान रहे कि स्वस्तिक का चिह्न हल्दी से ही बनाएं। स्वास्तिक बनाने के बाद उसको बार-बार नहीं देखना चाहिए। यह उपाय बहुत ही सरल है और इसका प्रभाव शीघ्र ही परिलक्षित होने लगता है।


* कारोबार में वृद्धि हेतु ही हर रोज प्रात:काल नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें थोड़ी सी रोली डालकर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:॥ मंत्र का जाप करते हुए तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं। शाम को गाय के शुद्ध देसी घी का दीपक जलांए और इसी मंत्र की पांच माला जाप करें।


* कठिन परिश्रम व मेहनत करने के उपरांत लाभ की प्राप्ति नहीं हो रही हो तो प्रत्येक गुरुवार के दिन शुभ घड़ी में पीले कपड़े में 9 जोड़े चने की दाल, 9 पीले गोपी चंदन की डलियां, 9 गोमती चक्र इन सबको पोटली बनाकर किसी भी मंदिर में केले के पेड़ के ऊपर शाम के समय टांग दें। साथ ही एक घी का दीपक भी प्रज्ज्वलित कर लें। ऐसा 11 गुरुवार करने से धन की प्राप्ति होगी और व्यवसायिक समस्याओं का निवारण भी होगा।


* धन न रूक रहा हो तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार के दिन 1 तांबे का सिक्का, 6 लाल गुंजा लाल कपड़े में बांधकर प्रात: 11 बजे से लेकर 1 बजे के बीच में किसी सुनसान जगह में अपने ऊपर से 11 बार उसार कर 11 इंच गहरा गङ्ढा खोदकर उसमें दबा दें। ऐसा 11 बुधवार करें। दबाने वाली जगह हमेशा नई होनी चाहिए। इस प्रयोग से कारोबार में बरकत होगी, घर में धन रूकेगा।


* धन वृद्धि हेतु किसी भी गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन प्रात:काल नित्यकर्म से निवृत होकर स्नानोपरांत शंख पुष्पी की जड़ अपने घर में लेकर आएं इस जड़ को गंगाजल से पवित्र कर दें। पवित्र करने के उपरांत चांदी की डिब्बी में पीले चावल भरकर उसके ऊपर रख दें। श्रद्धानुसार धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प, अक्षत अर्पित कर पंचोपचार पूजन करें। उसके बाद इस डिब्बी को अपनी तिजोरी में रख दें। धन में वृद्धि और कारोबारमें लाभ होगा। हर गुरु पुष्य के दिन शंख पुष्पी की जड़ व चांदी की डिब्बी बदल दें। पहले वाली बहते पानी में प्रवाह कर दें।

सोमवार, 16 जुलाई 2012

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1.      भर लें अपने भण्डार गृह
जिस स्थान पर होली जलाई जाती रही हो, वहां पर होली जलने से एक दिन पहले की रात्री में एक मटकी में गाय का घी, तिल का तेल, गेहूं और ज्वार तथा एक ताम्बे का पैसा रखकर मटकी का मुंह बंद करके गाड़ आएं। रात्रि में जब होली जल जाए, तब दूसरे दिन सुबह उसे उखाड़ लाएं। फिर इन सब वस्तुओं को पोटली में बांधकर जिस वास्तु में रख दिया जाएगा, वह वास्तु व्यय करने पर भी उसमें निरंतर वृद्धि होती रहेगी, और आपके भंडार भरे हुए रहेंगे।


2.     अगर आप चाहते हैं की आपके प्रतिष्ठान में बिक्री ज्यादा हो तो यह करें 
आप अपने व्यापार में अधिक पैसा प्राप्त करना चाहते हैं और चाहते हैं की आपके व्यापार की बिक्री बढ़ जाए तो आप वट वृक्ष की लता को शनिवार के दिन जाकर निमंत्रण दे आएं। (वृक्ष की जड़ के पास एक पान, सुपारी और एक पैसा रख आएं) रविवार के दिन प्रातः काल जाकर उसकी एक जटा तोड़ लाएं, पीछे मुड़कर न देखें। उस जटा को घर लाकर गुग्गल की धूनी दें तथा 101 बार इस मंत्र का जप करें- 
ॐ नमो चण्ड अलसुर स्वाहा। 


3.    छोटे बच्चों को नजर लगने पर- 
अगर आप चाहते हैं की छोटे बच्चों को नजर न लगे इसके लिए हाथ में चुटकी भर रक्षा लेकर ब्रहस्पतिवार के दिन 'ॐ चैतन्य गोरखनाथ नमः मंत्र का 108 बार जप करें। फिर इसे छोटी-सी पुडिया में डालकर काले रेशमी धागे से बच्चे के गले में बाँधने पर बुरी नजर नहीं लगती।


4.    अपने व्यापार में करें मनोवांछित उन्नति- 
अगर आप अपने व्यापार में मनोवांछित उन्नति करना चाहते हैं तो सोमवार को प्रातः नवनिर्मित अंगूठी को गंगाजल में धोकर गाय के दूध में डुबो दें, उसमें थोड़ी-सी शक्कर, तुलसी के पत्ते और कोई भी सफ़ेद फूल डाल दें। इसके पश्चात स्नान ध्यान से निवृत्त होकर अंगूठी को पहन लें। ऐसा करने से व्यापार में मनोवांछित उन्नति प्राप्त होगी।


5.    कन्या के विवाह में विलम्ब होने पर- 
अगर आपकी कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो या कन्या के लिए योग्य वर की तलाश पूरी नहीं हो रही हो तो किसी भी गुरूवार के दिन प्रातःकाल नहा धोकर बेसन के लड्डू स्वयं बनाएं। उनकी गिनती 109 होनी चाहिए। फिर पीले रंग की टोकरी में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उन लड्डूओं को उसमें रख दें तथा अपनी श्रद्धानुसार कुछ दक्षिणा रख दें। पास के किसी शिव मंदिर में जाकर विवाह हेतु प्रार्थना कर घर आ जाएं।


6.    आपके ज्यादातर कार्य असफल हो रहे हैं तो यह करें- 
आप चाहते हैं की आपके द्वारा किये गए कार्य सफल हो लेकिन कार्य के प्रारम्भ होते ही उसमें विध्न आ जाते हैं और वह असफल हो जाते हैं इसके लिए आप यह करें: प्रातःकाल कच्चा सूत लेकर सूर्य के सामने मुंह करके खड़े हो जाएं। फिर सूर्य देव को नमस्कार करके 'ॐ हीं घ्रणि सूर्य  आदित्य श्रीम' मंत्र बोलते हुए सूर्य देव को जल चढ़ाएं। जल में रोली, चावल, चीनी तथा लाल पुष्प दाल लें। इसके पश्चात कच्चे सूत को सूर्य देव की तरफ करते हुए गणेशजी का स्मरण करते हुए सात गाँठ लगाएं। इसके पश्चात इस सूत को किसी खोल में रखकर अपनी कमीज की जेब में रख लें, आपके बिगड़े कार्य बनाने लगेंगे।


7.    गर्भ धारण करने के लिए- 
अगर आपको किसी कारणवश गर्भ धारण नहीं हो रहा हो तो मंगलवार के दिन कुम्हार के घर आएं और उसमें प्रार्थना कर मिट्टी के बर्तन वाला डोरा ले आएं। उसे किसी गिलास में जल भरकर दाल दें। कुछ समय पश्चात डोरे को निकाल लें और वह पानी पति-पत्नी दोनों पी लें। यह क्रिया केवल मंगलवार को ही करनी है अगर संभव हो तो उस दिन पति-पत्नी अवश्य ही रमण करें। गर्भ की स्थिति बनते ही उस डोरे को हनुमानजी के चरणों में रख दें।


8.    अपने घर-गृहस्थी को बनाएं सुखी- 
अक्सर हम गृहस्थ जीवन में देखते हैं तो गृहस्थ का सामान टूट-फूट जाता है या सामान चोरी हो जाता है। जो भी आता है असमय ही ख़त्म हो जाता है। रसोई में बरकत नहीं रहती है तो ऐसी स्त्रियाँ भोजन बनाने के बाद शेष अग्नि को न बुझाएं और जब सब जलकर राख हो जाए तो राख को गोबर में मिलाकर रसोई को लीप दें। फर्श हो तो उस राख को पानी में घोलकर उसी पानी से फर्श डालें। यह क्रिया कई बार करें। घर-गृहस्थी का छोटा-मोटा सामान, गिलास, कटोरी, चम्मच आदि सदैव बने रहेंगे।


9.    इच्छा के विरूद्ध कार्य करना पड़ रहा हो तो- 
अगर आपको किसी कारणवश कोइ कार्य अपनी इच्छा के विपरीत करना पड़ रहा हो तो आप कपूर और एक फूल वाली लौंग एक साथ जलाकर दो-तीन दिन में थोड़ी-थोड़ी खा लें। आपकी इच्छा के विपरीत कार्य होना बंद हो जाएगा।
  
10.    दाम्पत्य जीवन से झगड़े दूर करें ऐसे- 
अगर आपका दाम्पत्य जीवन अशांत है तो आप रात्री में शय न करते समय पत्नी अपने पलंग पर देशी कपूर तथा पति के पलंग पर कामिया सिन्दूर रखें. प्रातः सूर्यदे के समय पति देशी कपूर को जला दें और पत्नी सिन्दूर को भवन में छिटका दें। इस टोटके से कुछ ही दिनों में कलह समाप्त हो जाती है।


11.    बेरोजगारी दूर करने हेतु- 
अगर आपको नौकरी या काम नहीं मिल रहा है और आप मारे-मारे फिर रहे हैं तो एक दागरहित बड़ा नीबूं लें और चौराहे पर बारह बजे से पहले जाकर उसके चार हिस्से कर लें और चारों दिशाओं में दूर-दूर फेंक दें। फलस्वरूप बेरोजगारी की समस्या समाप्त हो जाएगी।


12.    भाग्योदय करने के लिए करें यह उपाय-
अपने सोए भाग्य को जगाने के लिए आप प्रात सुबह उठकर जो भी स्वर चल रहा हो, वही हाथ देखकर तीन बार चूमें, तत्पश्चात वही पांव धरती पर रखें और वही कदम आगे बाधाएं। ऐसा नित्य-प्रतिदिन करने से निश्चित रूप से भाग्योदय होगा।


13.    त्वचा रोग होने पर यह करें- 
त्वचा संबंधी रोग केतु के दुष्प्रभाव से बढ़ते हैं। यदि त्वचा संबंधी घाव ठीक न हो रहा हो तो सायंकाल मिट्टी के नए पात्र में पानी रखकर उसमें सोने की अंगूठी या एनी कोइ आभूषण दाल दें। कुछ देर बाद उसी पानी से घाव को धोने के बाद अंगूठी निकालकर रख लें तथा पाने किसी चौराहे पर फेंक आएं। ऐसा तीन दिन करें तो रोग शीघ्र ठीक हो जाएगा।


14.    मंदी से छुटकारा पाएं ऐसे- 
अगर आपके व्यापार में मंदी आ गयी है या नौकरी में मंदी आ गयी है तो यह करें। किसी साफ़ शीशी में सरसों का तेल भरकर उस शीशी को किसी तालाब या बहती नदी के जल में डाल दें। शीघ्र ही मंदी का असर जाता रहेगा और आपके व्यापार में जान आ जाएगी।


15.    भय को दूर करें ऐसे-
अगर आपको बिना कारण भय रहता हो या सांप-बिच्छू या वन्य पशुओं का भय रहता हो तो यह करें : बांस की जड़ जलाकर उसे कान पर धारण करने से भय मिट जाता है। निर्गुन्डी की जड़ अथवा मोर पंख घर में रख देने से सर्प कभी भी घर में प्रवेश नहीं करता। रवि-पुष्य योग में प्राप्त सफ़ेद चादर की जड़ लाकर दाईं भुजा पर बाँधने से वन्य पशुओं का भय नहीं रहता है साथ ही अग्नि भय से भी छुटकारा मिल जाता है। केवड़े की जड़ कान पर धारण करने से शत्रु भय मिट जाता है।


16.    अगर आपके परिवार में कोई रोगग्रस्त हो तो यह करें. 
अगर स्वास्थ्य में सुधर न होता हो तो यह उपाय करें: एक देशी अखंडित पान, गुलाब का फूल और कुछ बताशे रोगी के ऊपर से 31 बार उतारें तथा अंतोक चौराहे पर रख दें। इसके प्रभाव से रोगी की दशा में शीघ्रता से सुधार होगा।


17.    पारिवारिक सुख-शांति के लिए- 
अगर आपके परिवार में अशांति रहती है और सुख-चैन का अभाव है तो प्रतिदिन प्रथम रोगी के चार भाग करें, जिसका एक गाय को, दूसरा काले कुत्ते को, तीसरा कौवे को तथा चौथा टुकड़ा किसी चौराहे पर रखवा दें तो इसके प्रभाव से समस्त दोष समाप्त होकर परिवार की शांति तथा सम्रद्धि बढ़ जाती है।
  
18.    अपनाएं सुखी रहने के कुछ नुस्खे- 
ब्रहस्पतिवार या मंगलवार को सात गाँठ हल्दी तथा थोड़ा-सा गुड इसके साथ पीतल का एक टुकड़ा इन सबको मिलाकर पोटली में बांधें तथा ससुराल की दिशा में फेंक दें तो वहां हर प्रकार से शांति व सुख रहता है।
कन्या अपनी ससुराल में रहते हुए यह करें। मेहँदी तथा साबुत उरद जिस दिशा में वधु का घर हो, उसी दिशा में फेंकने से वर-वधु में प्रेम बढ़ता है।
किसी विशेष कार्य के लिए घर के निकलते समय एक साबुत नीबू लेकर गाय के गोबर में दबा दें तथा उसके ऊपर थोड़ा-सा कामिया सिन्दूर छिड़क दें तथा कार्य बोलकर चले जाएं तो कार्य निश्चित ही बन जाता है।
 सावन के महीने में जब पहली बरसात हो तो बहते पानी में विवाह करने से दुर्भाग्य दूर हो जाता है।



19.    अविवाहित व अधिक उम्र की कन्या के विवाह के लिए- 
अगर आपकी लडकी अविवाहित है या उसकी उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी है इसके कारण विवाह होने में रूकावटें आ रही हो तो इसके लिए एक उपाय है: देवोत्थान एकादशी कच और देवयानी की मिट्टी की मूरतें बनाकर उन मूर्तियों में हल्दी, चावल, आते का घोल लगाकर उनकी पूजा करके उन्हें एक लकड़ी के फट्टे से ढक लेते हैं. फिर उस फट्टे पर कुमारी कन्या को बिठा दिया जाता है तो उसका विवाह हो जाता है।
20    राई से करें दरिद्रता निवारण- 
पैसों का कोइ जुगाड़ न बन रहा हो तथा घर में दरिद्रता का वाश हो तो यह करें: एक पानी भरे घड़े में राई के पत्ते डालकर इस जल को अभिमंत्रित करके जिस भी किसी व्यक्ति को स्नान कराया जाएगा उसकी दरिद्रता रोग नष्ट हो जाते हैं।


21.   स्वप्न में भविष्य जानें इस तरह भी- 
अगर आप स्वप्न में भविष्य की बात मालूम करना चाहते हैं तो जंगल में जाकर जिस वृक्ष पर अमर बेल हो, उसकी सात परिक्रमा कर अमर बेल्युक्त एक लकड़ी को तोड़ लाएं। फिर उस लकड़ी को धुप देकर जला दें तथा लता को सिरहाने रखकर विचार करते हुए सो जाएं तो स्वप्न में भविष्य की बात मालूम हो जाती है।





पांवों को जगाने का टोटका :
बहुधा देखा गया है कि प्राणी कहीं देर तक बैठा हो तो हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं। जो अंग सुन्न हो गया हो, उस पर उंगली से 27 का अंक  लिख दीजिये, अंग ठीक हो जाएगा।


मृत्यु की आशंका से बचने के उपाय :
काले तिल और जौ का आटा तेल में गूंथकर एक मोटी रोटी बनाएं और उसे अच्छी तरह सेंकें। गुड को तेल में मिश्रित करके जिस व्यक्ति की मरने की आशंका हो, उसके सिर पर से 7 बार उतार कर मंगलवार या शनिवार को भैंस को खिला दें।
गुड के गुलगुले सवाएं लेकर 7 बार उतार कर मंगलवार या शनिवार व इतवार को चील-कौए को डाल दें, रोगी को तुरंत राहत मिलेगी।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। द्रोव, शहद और तिल मिश्रित कर शिवजी को अर्पित करें। 'ॐ नमः शिवाय' षडाक्षर मंत्र का जप भी करें, लाभ होगा।


लक्ष्मी प्राप्ति के टोटके :
श्रावण के महीने में 108 बिल्व पत्रों पर चन्दन से नमः शिवाय लिखकर इसी मंत्र का जप करते हुए शिवजी को अर्पित करें। 31 दिन तक यह प्रयोग करें, घर में सुख-शांति एवं सम्रद्धि आएगी, रोग, बाधा, मुकदमा आदि में लाभ एवं व्यापार में प्रगति होगी व नया रोजगार मिलेगा। यह एक अचूक प्रयोग है।
भगवान् को भोग लगाई हुई थाली अंतिम आदमी के भोजन करने तक ठाकुरजी के सामने रखी रहे तो रसोई बीच में ख़त्म नहीं होती है।


बालक की दीर्घायु के लिये :
बालक को जन्म के नाम से मत पुकारें।
पांच वर्ष तक बालक को कपडे मांगकर ही पहनाएं।
3 या 5 वर्ष तक सिर के बाल न कटाएं।
उसके जन्मदिन पर बालकों को दूध पिलाएं।
बच्चे को किसी की गोद में दे दें और यह कहकर प्रचार करें कि यह अमुक व्यक्ति का लड़का है।


घर में सुख-शांति के लिये :
मंगलवार को चना और गुड बंदरों को खिलाएं।
आठ वर्ष तक के बच्चों को मीठी गोलियां बाँटें।
शनिवार को गरीब व भिखारियों को चना और गुड दें अथवा भोजन कराएं।
मंगलवार व शनिवार को घर में सुन्दरकाण्ड का पाठ करें या कराएं।


ग्रहों के देवता :
सूर्य के देवता विष्णु, चन्द्र के देवता शिव, बुध की देवी दुर्गा, ब्रहस्पति के देवता ब्रह्मा, शुक्र की देवी लक्ष्मी, शनि के देवता शिव, राहु के देवता सर्प और केतु के देवता गणेश। जब भी इन ग्रहों का प्रकोप हो तो इन देवताओं की उपासना करनी चाहिए।
मनोकामना की पूर्ती हेतु
होली के दिन से शुरू करके प्रतिदिन हनुमान जी को पांच पुष्प चढाएं, मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी।
होली की प्रातः बेलपत्र पर सफ़ेद चन्दन की बिंदी लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर सच्चे मन से अर्पित करें। बाद में सोमवार को किसी मन्दिर में भोलेनाथ को पंचमेवा की खीर अवश्य चढाएं, मनोकामना पूरी होगी।


रोजगार प्राप्ति हेतु
होली की रात्री बारह बजे से पूर्व एक दाग रहित बड़ा नीबू लेकर चौराहे पर जाएं और उसकी चार फांक चारों कोनों में फेंक दें। फिर वापिस घर जाएं किन्तु ध्यान रहे, वापिस जाते समय पीछे मुड़कर न देखें। उपाय श्रद्धापूर्वक करें, शीघ्र ही बुरे दिन दूर होंगे व रोजगार प्राप्त होगा।


स्वास्थ्य लाभ हेतु 
मृत्यु तुल्य कष्ट से ग्रस्त रोगी को छुटकारा दिलाने के लिये जौ के आटे में तिल एवं सरसों का तेल मिला कर मोटी रोटी बनाएं और उसे रोगी के ऊपर से सात बार उतारकर भैंस को खिला दें। यह क्रिया करते समय ईश्वर से रोगी को शीघ्र स्वस्थ करने की प्रार्थना करते रहें।


व्यापार लाभ के लिये 
होली के दिन गुलाल के एक खुले पैकेट में एक मोती शंख और चांदी का एक सिक्का रखकर उसे नए लाल कपडे में लाल मौली से बांधकर तिजोरी में रखें, व्यवसाय में लाभ होगा।
होली के अवसर पर एक एकाक्षी नारियल की पूजा करके लाल कपडे में लपेट कर दुकान में या व्यापार पर स्थापित करें। साथ ही स्फटिक का शुद्ध श्रीयंत्र रखें. उपाय निष्ठापूर्वक करें, लाभ में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होगी।


धनहानी से बचाव के लिये 
होली के दिन मुख्य द्वार पर गुलाल छिडकें और उस पर द्विमुखी दीपक जलाएं। दीपक जलाते समय धनहानि से बचाव की कामना करें। जब दीपक बुझ जाए तो उसे होली की अग्नि में डाल दें। यह क्रिया श्रद्धापूर्वक करें, धन हानि से बचाव होगा।


दुर्घटना से बचाव के लिये
होलिका दहन से पूर्व पांच काली गुंजा लेकर होली की पांच परिक्रमा लगाकर अंत में होलिका की ओर पीठ करके पाँचों गुन्जाओं को सिर के ऊपर से पांच बार उतारकर सिर के ऊपर से होली में फेंक दें।
होली के दिन प्रातः उठते ही किसी ऐसे व्यक्ति से कोई वास्तु न लें, जिससे आप द्वेष रखते हों। सिर ढक कर रखें। किसी को भी अपना पहना वस्त्र या रूमाल नहीं दें। इसके अतिरिक्त इस दिन शत्रु या विरोधी से पान, इलायची, लौंग आदि न लें। ये सारे उपाय सावधानी पूर्वक करें, दुर्घटना से बचाव होगा।


आत्मरक्षा हेतु 
किसी को कष्ट न पहुंचाएं, किसी का बुरा न करें और न सोचें। आपकी रक्षा होगी।
घर के प्रत्येक सदस्य को होलिका दहन में घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता अवश्य चढ़ाना चाहिए। होली की ग्यारह परिक्रमा करते हुए होली में सूखे नारियल की आहुति देनी चाहिए।. इससे सुख-सम्रद्धि बढ़ती है, कष्ट दूर होते हैं।


अनबन दूर करने के लिये 
होली के दिन 5-5 रत्ती के 5 मोतियों का ब्रेसलेट पहनें। इसके अतिरिक्त हर पूर्णिमा को चांदी के पात्र में कच्चा दूध डालकर चन्द्रमा को अर्ध्य दें, पति-पत्नी की आपसी संबंधों में मधुरता आयेगी।


मतभेद दूर करने के लिये  
पुत्र की पिता से न बनती हो तो अमावस्या, चतुर्दर्शीय या ग्रहण के दिन पुत्र पिता के जूतों से पुराने मोज़े निकाल कर उनमें नए मोज़े रख दे, दोनों के बीच चल रहा वैमनस्य दूर हो जाएगा।


आँखों के रोग से मुक्ति के लिए
आँखों में यदि काला मोतिया हो जाए तो ताम्बे के पात्र में जल लेकर उसमें ताम्बे का सिक्का व गुड डालकर प्रतिदिन सूर्य को अर्ध्य दें। यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से शुरू कर चौदह रविवार करें। अर्ध्य देते समय रोग से मुक्ति की प्रार्थना करते रहें। इसके अतिरिक्त पांच प्रकार के फल लाल कपडे में बांधकर किसी भी मन्दिर में दें। यह उपाय निष्ठापूर्वक करें, लाभ होगा।


नौकरी की प्राप्ति के लिए
नौकरी न मिल रही हो तो मन्दिर में बारह फल चढ़ाएं। यह उपाय नियमित रूप से करें और इश्वर से नौकरी मिलने की प्रार्थना करें।


शीघ्र विवाह के लिए
विवाह योग्य वर या कन्या के शीघ्र विवाह के लिए घर के मन्दिर में नवग्रह यन्त्र स्थापित करें। जिनकी नई शादी हो, उन्हें घर बुलाएं, उनका सत्कार करें और लाल वस्त्र भेंट करें उन्हें भोजन या जलपान कराने के पश्चात सौंफ मिस्री जरूर दें। यह सब करते समय शीघ्र विवाह की कामना करें। यह उपाय शुक्ल पक्ष के मंगलवार को करें, लाभ होगा।


मनोकामना पूर्ती के लिये
व्यापार मंदा हो तथा पैसा टिकता न हो, तो नवग्रह यन्त्र और धन यन्त्र घर के मन्दिर में शुभ समय में स्थापित करें। इसके अतिरिक्त सोलह सोमवार तक पांच प्रकार की सब्जियां मन्दिर में दें और पंचमेवा की खीर भोलेनाथ को मन्दिर में अर्पित करें। सभी कामनाएं पूरी होंगी।


कुछ अन्य टोटके
समाज में मान सम्मन की प्राप्ति के लिये कबूतरों को चावल मिश्रित डालें, बाजरा शुक्रवार को खरीदें व शनिवार से डालना शुरू करें।
शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार या बुधवार को चमकीले पीले वस्त्र में शुद्ध कस्तूरी लपेटकर अपने धन रखने के स्थान पर रखें, घर में सुख-समृद्धी आयेगी।
यदि मार्ग में कोई सफाई कर्मचारी सफाई करता दिखाई दे तो उसे यह कहकर की चाय-पानी पी लेना या कुछ खा लेना, कुछ दान अवश्य दें, परिवार में प्यार व सुख-समृद्धी बढ़ेगी। यदि सफाई कर्मचारी महिला हो तो शुभ फल अधिक मिलेगा।
किसी भी विशेष मनोरथ की पूर्ती के लिये शुक्ल पक्ष में जटावाला नारियल नए लाल सूती कपडे में बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें। यह उपाय निष्ठापूर्वक करें।
शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से नित्य प्रातः में अर्पित करें। फूल हनुमानजी को मन्दिर में अर्पित करें। फूल अर्पित करते समय हनुमान जी से मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते रहें। ध्यान रहे यह उपाय करते समय कोई आपको टोके नहीं और टोके तो आप उसका उत्तर न दें।
जन्म पत्रिका में 12वें भाव में मंगल हो और खर्च बहुत होता हो, तो बेलपत्र पर चन्दन से 'भौमाय नमः' लिखकर सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाएं, उक्त सारे कष्ट दूर हो जायेंगे।

स्वस्थ शरीर के लिए :
एक रुपये का सिक्का लें। रात को उसे सिरहाने रख कर सो जाएं। प्रातः इसे ष्मशान की सीमा में फेंक आएं। शरीर स्वस्थ रहेगा।
ससुराल में सुखी रहने के लिए :
साबुत हल्दी की गांठें, पीतल का एक टुकड़ा, थोड़ा सा गुड़ अगर कन्या अपने हाथ से ससुराल की तरफ फेंक दे, तो वह ससुराल में सुरक्षापूर्वक और सुखी रहती है।


सुखी वैवाहिक जीवन के लिए :
कन्या का जब विवाह हो चुका हो और वह विदा हो रही हो, तो एक लोटे (गड़वी) में गंगा जल, थोड़ी सी हल्दी, एक पीला सिक्का डाल कर, लड़की के सिर के उपर से ७ बार वार कर उसके आगे फेंक दें। वैवाहिक जीवन सुखी रहेगा।


परेषानियां दूर करने व कार्य सिद्धि हेतु :
शनिवार को प्रातः, अपने काम पर जाने से पहले, एक नींबू लें। उसके दो टुकड़े करें। एक टुकड़े को आगे की तरफ फेंके, दूसरे को पीछे की तरफ। इन्हें चौराहे पर फेंकना है। मुख भी दक्षिण की ओर हो। नींबू को फेंक कर घर वापिस आ जाएं, या काम पर चले जाएं। दिन भर काम बनते रहेंगे तथा परेषानियां भी दूर होंगी।


काम या यात्रा पर जाते हुए :
कभी भी किसी काम के लिए, या यात्रा पर जाते समय, एक नारियल लें। उसको हाथ में ले कर, ११ बार श्री हनुमते नमः कह कर, धरती पर मार कर तोड़ दें। उसके जल को अपने ऊपर छिड़क लें और गरी को निकाल कर बांट दें तथा खुद भी खाएं, तो यात्रा सफल रहेगी तथा काम भी बन जाएगा।
काम के लिए : अगर आपको किसी विशेष काम से जाना है, तो नीले रंग का धागा ले कर घर से निकलें। घर से जो तीसरा खंभा पड़े, उस पर, अपना काम कह कर, नीले रंग का धागा बांध दें। काम होने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।


काम के लिए 
हल्दी की ७ साबुत गांठें, ७ गुड़ की डलियां, एक रुपये का सिक्का किसी पीले कपड़े में बांध कर, रेलवे लाइन के पार फेंक दें। फेंकते समय कहें काम दे, तो काम होने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।


धन के लिए :
एक हंडियां में सवा किलो हरी साबुत मूंग दाल या मूंगी, दूसरी में सवा किलो डलिया वाला नमक भर दें। यह दो हंडियां घर में कहीं रख दें। यह क्रिया बुधवार को करें। घर में धन आना शुरू हो जाएगा।


मिर्गी के रोग को दूर करने के लिए :
अगर गधे के दाहिने पैर का नाखून अंगूठी में धारण करें, तो मिर्गी की बीमारी दूर हो जाती है।


भूत-प्रेत और जादू-टोना से बचने के लिए :
मोर पंख को अगर ताबीज में भर के बच्चे के गले में डाल दें, तो उसे भूत-प्रेत और जादू-टोने की पीड़ा नहीं रहती।


परीक्षा में सफलता हेतु : परीक्षा में सफलता हेतु गणेश रुद्राक्ष धारण करें। बुधवार को गणेश जी के मंदिर में जाकर दर्शन करें और मूंग के लड्डुओं का भोग लगाकर सफलता की प्रार्थना करें। 


पदोन्नति हेतु : शुक्ल पक्ष के सोमवार को सिद्ध योग में तीन गोमती चक्र चांदी के तार में एक साथ बांधें और उन्हें हर समय अपने साथ रखें, पदोन्नति के साथ-साथ व्यवसाय में भी लाभ होगा। 


मुकदमे में विजय हेतु : पांच गोमती चक्र जेब में रखकर कोर्ट में जाया करें, मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होगा। 


पढ़ाई में एकाग्रता हेतु : शुक्ल पक्ष के पहले रविवार को इमली के २२ पत्ते ले आएं और उनमें से ११ पत्ते सूर्य देव को ¬ सूर्याय नमः कहते हुए अर्पित करें। शेष ११ पत्तों को अपनी किताबों में रख लें, पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी। 


कार्य में सफलता के लिए : अमावस्या के दिन पीले कपड़े का त्रिकोना झंडा बना कर विष्णु भगवान के मंदिर के ऊपर लगवा दें, कार्य सिद्ध होगा। 


व्यवसाय बाधा से मुक्ति हेतु : यदि कारोबार में हानि हो रही हो अथवा ग्राहकों का आना कम हो गया हो, तो समझें कि किसी ने आपके कारोबार को बांध दिया है। इस बाधा से मुक्ति के लिए दुकान या कारखाने के पूजन स्थल में शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को अमृत सिद्ध या सिद्ध योग में श्री धनदा यंत्र स्थापित करें। फिर नियमित रूप से केवल धूप देकर उनके दर्शन करें, कारोबार में लाभ होने लगेगा। 


गृह कलह से मुक्ति हेतु : परिवार में पैसे की वजह से कलह रहता हो, तो दक्षिणावर्ती शंख में पांच कौड़ियां रखकर उसे चावल से भरी चांदी की कटोरी पर घर में स्थापित करें। यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को या दीपावली के अवसर पर करें, लाभ अवश्य होगा। 


क्रोध पर नियंत्रण हेतु : यदि घर के किसी व्यक्ति को बात-बात पर गुस्सा आता हो, तो दक्षिणावर्ती शंख को साफ कर उसमें जल भरकर उसे पिला दें। यदि परिवार में पुरुष सदस्यों के कारण आपस में तनाव रहता हो, तो पूर्णिमा के दिन कदंब वृक्ष की सात अखंड पत्तों वाली डाली लाकर घर में रखें। अगली पूर्णिमा को पुरानी डाली कदंब वृक्ष के पास छोड़ आएं और नई डाली लाकर रखें। यह क्रिया इसी तरह करते रहें, तनाव कम होगा। 


मकान खाली कराने हेतु : शनिवार की शाम को भोजपत्र पर लाल चंदन से किरायेदार का नाम लिखकर शहद में डुबो दें। संभव हो, तो यह क्रिया शनिश्चरी अमावस्या को करें। कुछ ही दिनों में किरायेदार घर खाली कर देगा। ध्यान रहे, यह क्रिया करते समय कोई टोके नहीं। 


बिक्री बढ़ाने हेतु : ग्यारह गोमती चक्र और तीन लघु नारियलों की यथाविधि पूजा कर उन्हें पीले वस्त्र में बांधकर बुधवार या शुक्रवार को अपने दरवाजे पर लटकाएं तथा हर पूर्णिमा को धूप दीप जलाएं। यह क्रिया निष्ठापूर्वक नियमित रूप से करें, ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होगी और बिक्री बढ़ेगी। 

रविवार, 15 जुलाई 2012

बैंकिंग क्षेत्र में नौकरी की संभावना


जन्म-कुण्डली का विश्लेषण कर बैंकिंग क्षेत्र में नौकरी की संभावना का पता लगाया जा सकता है। बैंक / लिपिक सेवा वाणिज्य के अन्तर्गत आते हैं। वाणिज्य और वित्त का कारक बुध है। गुरू ज्ञान और तरक़्क़ी का कारक है, शुक्र धन के प्रबंधन / नक़दी / अर्थ का कारक है और शनि ऋण / बॉण्ड / जनता के लेन-देन / ख़रीद-फ़रोख़्त का कारक है। इन ग्रहों का कुछ ख़ास भावों में होना उस व्यक्ति के वित्त-क्षेत्र में काम करने को इंगित करता है।
जिन जातकों के लग्न में वृषभ, सिंह, कन्या, वृश्चिक और धनु राशि हो, उनके इस पेशे में क़ामयाब होने की संभावना ज़्यादा रहती है। कोई बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश कर सकेगा और अधिकारी या लिपिक के तौर पर सफल हो सकेगा या नहीं, ये जानने के लिए कुछ ज्योतिषीय योगों पर विचार करते हैं।
चौथे, पाँचवे या दसवें भाव में बुध और गुरू की स्थिति बैंकिंग / वित्त / वाणिज्य के क्षेत्र से जुड़े पेशे को दर्शाती है। चौथे भाव को शिक्षा के लिए, पाँचवें को लोगों से संपर्क और लेन-देन के लिए, नौवें भाव को उच्च शिक्षा के लिए, छठे भाव को नौकरी के लिए और दसवें भाव को सरकारी क्षेत्र या सरकारी कंपनी में करियर के लिए देखा जाता है। अगर ग्यारहवें भाव या उसके स्वामी पर गुरू और बुध व त्रिकोण में स्थित शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो जातक बैंकिंग क्षेत्र से धन अर्जित करता है।
अगर चौथे या नौवें भाव का स्वामी बुध या गुरू हो तथा दसवें भाव से दृष्टि-संबंध हो, तो यह बैंक में नौकरी की सम्भावना को मज़बूत करता है। साथ ही इसमें अगर सूर्य की सहभागिता भी हो, तो जातक बैंक में अधिकारी बन सकता है। सूर्य सरकार या प्रशासन को भी दर्शाता है। यदि सूर्य ऊपर बताए गए संयोजन के साथ दसवें या ग्यारहवें भाव में सिंह राशि में बैठा हो, तो जातक शीघ्र ही तरक़्क़ी करता है और सरकारी बैंक व रिज़र्व बैंक आदि में उच्च-अधिकारी का पद भी हासिल कर सकता है।
अगर बुध या गुरू चौथे, नौवें या दसवें भाव के स्वामी हों और लग्न को देख रहे हों, तो जातक वाणिज्य से संबंधित शिक्षा / पेशे से जुड़ा होता है। यदि शुक्र चौथे, नौवें या दसवें भाव का स्वामी हो और दसवें, ग्यारहवें भाव में स्थित हो या उसे देख रहा हो तथा उस पर बुध या बृहस्पति की दृष्टि हो, तो ज़्यादातर देखा गया है कि ऐसा जातक बैंक में नक़द लेन-देन का काम संभालता है। यहाँ भी सूर्य की स्थिति कार्यक्षेत्र में उन्नति को तय करेगी। अगर चौथे, पाँचवें घर का स्वामी शनि हो और ख़ुद दसवें, ग्यारहवें भाव में बैठा हो या देख रहा हो तथा उसके ऊपर बुध या बृहस्पति की दृष्टि हो, तो प्रायः जातक जनता की पूँजी के व्यवहार या लेन-देन से संबंधित काम करता है।
यदि लग्न धनु हो और इसपर किसी भी रूप में सूर्य, बुध या शुक्र की दृष्टि हो, तो ऐसे में उस व्यक्ति के बैंकिंग क्षेत्र में काम करने की प्रबल सम्भावना रहती है। इसके अलावा अगर लग्न धनु हो और शनि जन्म-कुण्डली में या तो दूसरे या नौवें भाव में स्थित हो व उसपर बृहस्पति या बुध की दृष्टि हो, तो जातक बैंक और उससे जुड़ी सेवाओं के ज़रिए धनार्जन करेगा। इसी तरह यदि लग्न में धनु राशि हो और गुरू दूसरे, ग्यारहवें भाव के स्वामी को देख रहा हो या स्वयं इन भावों में कहीं बैठा हो तथा शुक्र और बुध साथ में बैठे हों व शक्तिशाली हों, तो जातक को बैंकिंग क्षेत्र में निश्चित तौर पर सफलता मिलती है।
यदि लग्न कन्या है, बुध मिथुन राशि में है और गुरू के साथ बैठा है तथा शुक्र शक्तिशाली है, तो जातक को इस क्षेत्र में क़ामयाबी हासिल होती है। इसी तरह कन्या लग्न की कुण्डली में अगर बुध और बृहस्पति की युति हो तथा उनपर शुक्र या चन्द्र की दृष्टि हो तो वह व्यक्ति इस क्षेत्र में सफलता अर्जित करता है। अगर बुध और चन्द्र दोनों ही शक्तिशाली हैं और तो जातक इस क्षेत्र में आकर काफ़ी प्रगति करता है।
यदि लग्न वृषभ है और लग्न में बुध शनि के साथ बैठा है या लग्न को देख रहा है या फिर शनि द्वारा देखा जा रहा है और गुरू शक्तिशाली है, तो जातक बैंकिंग क्षेत्र में क़ामयाबी पाकर अधिकारी बनता है। अगर वृषभ, कन्या या धनु लग्न है और नौवें, दसवें या ग्यारहवें भावों में बुध, शुक्र और शनि के बीच संबंध है, तो जातक बैंक में काम करेगा।
इसी तरह अगर सूर्य, बुध और गुरू शक्तिशाली हों व दसवें भाव से संबंधित हों तो जातक अर्थशास्त्री बन सकता है।
अगर ग्रहों की शक्ति क्षीण है या वे तटस्थ राशि में बैठे हैं, तो यह औसत शिक्षा को दिखलाता है और बैंक से जुड़ी क्लर्क वग़ैरह की नौकरी को इंगित करता है। यदि वे शत्रु राशियों में बैठे हैं या उनपर अशुभ दृष्टियाँ हैं, तो उन्हें नौकरी के दौरान बेहद समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
बुधादित्य योग वाणिज्य के क्षेत्र में दिलचस्पी को दर्शाता है। यह जातक को अर्थाशास्त्री, बैंक अधिकारी, सांख्यिकीविद, एमबीए या सीए बनाता है। बुध सूर्य से जितना क़रीब हो और पीछे हो, वह उतना ही बेहतर परिणाम देता है।

न्याय के देव शनि


न्याय के देव शनि को कौन नहीं भला जानता होगा, और शनि की साढ़ेसाती से लगभग सभी लोग परिचित होते ही हैं। ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर 15 नवंबर 2011 को शनि तुला राशि में प्रवेश करेंगे जिसकी वजह से सिंह राशि वालों की साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी तथा कन्या, तुला और वृश्चिक राशि वाले जातकों पर साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा। इन तीनों राशियों में तुला राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती शुभ रहेगी।
15 नवंबर को तुला राशि में प्रवेश करेंगे शनि :
प्रिय पाठकों, ज्योतिष गणनाओं के आधार पर शनि तुला राशि में 15 नवंबर 2011 को प्रवेश करेगा। खुशी की बात यह है कि सिंह राशि वाले महानुभावों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी, वहीं दूसरी ओर वृश्चिक राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होगी तथा कन्या और तुला राशि वालों को शनि की साढ़े साती चालू यथावत बनी रहेगी। कन्या राशि वालों को यह अंतिम ढैय्या रहेगी और तुला राशि वालों को दूसरी ढैय्या रहेगी। तुला राशि का स्वामी शुक्र और कन्या राशि का स्वामी बुध यह दोनों ही शनिदेव के मित्र हैं। इस कारण से इन राशि वालों को कष्ट की मात्रा अल्प रहेगी। इसके अतिरिक्त यदि शनिदेव की आराधना करके उनका सम्मान किया जाये तो साढ़ेसाती का असर नगण्य हो सकता है।
देश के लिए कैसा रहेगा यह शनि का राशि परिवर्तन :
हमारे देश भारतवर्ष की वृष लग्न और कर्क राशि है। अतएव अपने देश भारत पर शनि के साढ़े साती का असर बिल्कुल न के बराबर रहेगा। बल्कि वृष लग्न वाले भारतवर्ष एवं जातकों के लिए शनि सकारात्मक फल प्रदान करने वाला योगकारी और भाग्योदयकारी है।
 हजारों कुंडलीयों में मैने प्राय: ऐसा देखा है कि जन्म पत्रिका में शनि यदि लाभकारी स्थिति में है तो उन व्यक्तियों को लाभ देगा। इस लेख के माध्यम से उन भविष्यवक्ताओं एवं लोगों को बताना चाहूंगा कि यदि शनि की साढ़े साती का विश्लेषण करते समय हमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित तथ्यों का जरूर ध्यान देना चाहिए।
जन्म पत्रिका के अनुसार किस ग्रह की महादशा, अंतर्दशा चल रही है, यह भी ध्यान में रखना होगा। यह नियम भी याद रखना आवश्यक है कि जब शनि 3, 6, 11 स्थानों पर भ्रमण करता है तो बहुत अच्छा फ ल देता है। इस नियम के अनुसार तुला का शनि सिंह राशि, वृष राशि एवं धनु राशि वालों को लाभकारी रहने की संभावना है। कन्या राशि वालों को यह धन स्थान में मित्र क्षेत्री रहने से यदि जन्म पत्रिका में लाभकारी है तो बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। यदि सर्विस में है तो प्रमोशन मिलेगा। जहां 15 नवंबर 2011 से शनि की साढ़ेसाती कन्या, तुला, वृश्चिक राशि पर रहेगी, उसी के साथ कर्क, मीन राशि वालों को शनि की ढैय्या रहेगी। इनका समय कष्टकारी रहेगा। शनि लाभकारी रहेगा या कष्टकारी, इसका निर्णय अष्टक वर्ग में उसे प्राप्त बिंदु के आधार पर ही रिकया जाना चाहिए। क्योंकि वह उसी के अनुसार फ ल देगा। यदि 28 से कम बिंदु मिले हैं तो परिणाम ठीक नहीं होंगे, यदि 28 से अधिक बिंदु मिलते हैं तो उस अवस्था में शनि कम कष्टकारी रहेगा। शनि के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण रखना होगा। यह भी विचार करें कि वह जन्म पत्रिका में किस ग्रह के ऊपर से भ्रमण कर रहा है, उसके अनुसार परिणाम होंगे। ज्योतिष का यह नियम भी याद रखें कि शनि जिस स्थान पर रहता है उसमें उस भाव से संबंधित शुभ फल देता है, परंतु जिस घर पर उसकी दृष्टि रहती है उससे संबंधित वस्तुओं को नुकसान पहुंचाता है।
  शनि की दृष्टि है अमंगलकारी :
शनि की दृष्टि अमंगलकारी रहने का कारण यह भी है कि शनि को उनकी धर्म पत्नी द्वारा श्राप दिया गया था। शनि अपने स्थान से सप्तम स्थान, तृतीय स्थान एवं दशम स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है। जिन युवकों एवं कन्याओं की जन्म पत्रिका में शनि की पूर्ण दृष्टि सप्तम यानी विवाह स्थान पर रहती है, ऐसे लड़के, लडकियों के विवाह बहुत कठिनाई से होते हैं। यदि किसी लड़के, लड़की के विवाह में विलंब होता है तो देखें कि शनि की दृष्टि तो विवाह स्थान पर है या नहीं, यदि है तो दृष्टि प्रभाव हेतु समुचित उपायों का उपयोग कर सकते हैं।
माननीया सुश्री मायावती का शनि पंचम में है और विवाह स्थान को तृतीय पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। वह शायद इसी कारण अविवाहित हैं, जैसा कि ऊपर वर्णन कर चुके हैं। वृश्चिक राशि पर 15.11.2011 से साढ़े साती आयेगी। तुला का शनि उच्च का रहेगा तो तुला, मिथुन, धनु, मकर तथा कुंभ राशि वालों के लिए लाभकारी रहेगा। परंतु भारतीय जनता पार्टी की राशि पर साढ़ेसाती के कारण पार्टी में परेशानी पैदा करेगा। नेताओं में मतभेद उभरेंगे। प्रधानमंत्री पद के दावेदार को लेकर भी मतभेद बढऩे की संभावना रहेगी।
कैसे प्रसन्न होंगे शनिदेव :
श्री शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों में से किसी मंत्र का जप श्रद्धापूर्वक करें तो कष्टों का निवारण होगा।
तांत्रिक मंत्र : 1. ऊँ शं शनैश्चराय नम: 2. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
वैदिक मंत्र : ऊँ शन्नौ देवीरभिष्टयाऽआपो भवंतु पीतये। शंय्योरभि:श्रवंतु न:॥
श्री शंकर भगवान की उपासना व श्री बजरंगबली की उपासना से भी शनि के कष्ट दूर होते हैं। अत: आप श्री शंकर भगवान या श्री बजरंगबली की आराधना करें। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि की वस्तुओं का दान करना भी लाभकारी रहता है। ये वस्तुएं हैं- काले उड़द, काले तिल, तेल, लोहा, बर्तन में सरसों का तेल आदि- श्री बजरंगबली के मंदिर में भेंट करना, बहुत लाभकारी रहता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। वह मंत्र इस प्रकार है- ऊँ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
 हम सभी जानते हैं कि शनिदेव, सूर्य पुत्र और यम के सहोदर हैं। भगवान भोलेनाथ ने शनि को भ्रष्ट जीवों को दंड देने की जिम्मेदारी दी है। इस प्रकार शनिदेव दंडाधिकारी हैं। शनि जन्म पत्रिका में कर्म स्थान यानी दशम स्थान- भाग्य में स्वगृही या उच्च का होने पर उक्त व्यक्ति को राजनीति में शिखर पर पहुंचा देता है। पत्रिका में वृष, तुला और मकर लग्न वालों को यह योगकारी होता है और वह स्वगृही या उच्च का हो तो उच्चपद दिलाता है जैसे माननीय अटल बिहारी बाजपेई जी का तुला का शनि लग्न में उच्च का है।
1. श्री के. पी. एस. गिल प्रसिद्ध पुलिस अधिकारी का शनि भाग्य में स्वगृही है और बार-बार उच्चपद मिलता गया।
2. श्री मनमोहन सिंह जी का शनि धनस्थान में स्वगृही होने का लाभ यह हुआ कि उन्हें उच्चपद मिला।
3. श्री मुरली मनोहर जोशी जी का शनि स्वगृही है और विपरीत राजयोग बनाया है तथा शनि की महादशा 18 जुलाई 2013 से लाभकारी रहेगी पार्टी में पूछ परख बढ़ेगी और अचानक लाभ मिलेगा।
4. बी.जे.पी. के श्री विक्रम वर्मा जी, को भी शनि आय स्थान में 15 नवंबर 2011 से लाभकारी रहेगा।
5. श्री शिवराज सिंह चौहान मुखयमंत्री (म.प्र.) की मकर राशि होने से शनि भाग्य में लाभकारी रहेगा। उत्तर प्रदेश की मुखयमंत्री सुश्री मायावती की वृष लग्न है और भाग्य का स्वामी शनि पंचम (बुद्धि स्थान) में होने से पुन: मुखयमंत्री बनी। श्री नारायण दत्त तिवारी और नर्मदा आंदोलन की नेता सुश्री मेघा पाटकर की मकर लग्न में एवं शनि भाग्य में उच्च का है वह राजनीति में उच्चपद पर अवश्य जायेंगी। शनि की दशा में अभी उनका समय अनुकूल चल रहा है। शनि व्यक्ति को कर्मठ बनाता है। यदि किसी की जन्म पत्रिका में शनि बलहीन मेष राशि में बैठा हो तो व्यक्ति बार-बार उन्नति के शिखर तक पहुंचते-पहुंचते रह जाता है। वृष, तुला, मकर राशि-लग्न वाले व्यक्ति नीलम की अंगूठी पहनकर शनि को प्रसन्न कर सकते हैं।  

राशि 2011: साढ़ेसाती का प्रभाव


शनि साढ़ेसाती वर्ष 2011 के अधिकांश समय में सिंह , कन्या और तुला राशि पर रहेगी। 14 नवम्बर को शनि अपनी राशि बदलेगा यानी कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करेगा। फलत: सिंह राशि से साढे़साती उतरेगी और वृश्चिक राशि पर साढ़ेसाती आरंभ होगी।

मेष , वृश्चिक और मिथुन राशि को ढैया स्वर्ण पाद यानी सोने के पाये से रहेगी। मीन , धनु और सिंह राशि को ढैया चांदी के पाये से रहेगी। कुंभ ,तुला और कर्क राशि को तांबे के पाये से ढैया रहेगी। मकर , कन्या और वृष राशि को शनि लौहपाद यानी लोहे के पाये से फल देगा। शनि के विभिन्न पाये यानी चरणों का फल धातुओं के हिसाब से आंका जाता है।

साढे़साती के दौरान जातक की जन्मकालीन कुण्डली में स्थित शनि का असर मुख्य रूप से होता है। फिर भी गोचर में सबसे खराब लोहे के पाये का असर बताया है। तांबे और चांदी के पाये का असर कुछ अच्छा विकास और उन्नतिदायक बताया है। उसी प्रकार सोने के पाये का असर मतिभ्रम अपव्यय और तनाव व्यापार और नौकरी में घाटे की स्थिति को दर्शाता है।

सभी राशियों पर शनि का प्रभाव
मेष : इस समय आपके मधुर संबंधों में कटुता बनी रहेगी। उद्योग-व्यापार में लाभ कम हानि की आशंका अधिक रहेगी। दाम्पत्य जीवन में अशांति परन्तु संतान पक्ष की कामयाबी से हर्ष रहेगा। स्वास्थ्य से पूर्ण संतुष्टी नहीं रहेगी। 15 नवम्बर के बाद सभी परिस्थितियों में सुधार होगा। शांति मिलेगी।

वृष : आपके द्वारा किया गया प्रयास सार्थक होगा। उद्योग , व्यापार में लाभ के अवसर मिलेंगे। शिक्षा-परीक्षा में सफलता घरेलू सुख शांति में कुछ गतिरोध बना रहेगा। परन्तु वाद-विवाद में सफलता मिलेगी। 15 नवम्बर के बाद मानसिक अस्थिरता , गृह प्रपंच बढ़ सकता है।

मिथुन : घरेलू सुखों में उतार-चढ़ाव , माता-पिता को कष्ट , विद्युत अग्निभय , मनस्ताप , कार्य व्यवसाय में गतिरोध , अनुचित खर्च से परेशानी। 15 नवम्बर के बाद सभी परिस्थितियों में सुधार , कार्यसिद्धि , मन खुश रहेगा। सुख शांति बनी रहेगी।

कर्क : स्वास्थ्य बाधा , शिक्षा परीक्षा में गतिरोध बना रहेगा। शारीरिक दुर्बलता , कार्य व्यवसाय में गतिरोध आगंतुकों से कष्ट , अपयश और मान-हानि हो सकती है। शारीरिक स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। 15 नवम्बर के बाद विपरीत परिस्थितियों में सुधार , आजीविका संबंधी कार्यों में सफलता , वैवाहिक जीवन में शांति तथा अदालती कार्यों में सफलता मिल सकती है।

सिंह : शारीरिक मानसिक कष्ट , चोर अग्नि भय , वाहन से कष्ट , नवीन परिवर्तनों में विश्वासघात , शत्रु वृद्धि , चल अचल सम्पत्ति में बाधाएं उत्पन्न होंगी। 15 नवम्बर के बाद अचानक वित्त लाभ , प्रतियोगिता में सफलता , पारिवारिक सुख सम्पन्नता तथा इच्छित कार्य सिद्धि हो सकती है।

कन्या : स्वास्थ्य बाधा , अपकृति , शत्रु वृद्धि , अपमानजनक स्थितियां। स्वजन परिजन से विवाद , अनर्गल खर्चा , स्त्री-संतान को कष्ट , कार्य-व्यवसाय में हानि हो सकती है। 15 नवम्बर के बाद स्थितियों में सुधार , नौकरी-व्यापार के लिए किया गया प्रयास सार्थक होगा। दाम्पत्य जीवन में अनुराग तथा ऐच्छिक कार्य सिद्धि।

तुला : नौकरी व्यापार में किया गया प्रयास सार्थक होगा। कोई महत्वपूर्ण पद की प्राप्ति हो सकती है। समाज में मान-सम्मान तथा महत्वपूर्ण अधिकार की प्राप्ति। 15 नवम्बर के बाद निराशाजनक स्थितियां बन सकती हैं। जिससे अपच , हाई बीपी , धन की कमी होगी। नौकरी व्यापार में भी गतिरोध उत्पन्न हो सकते हैं।

वृश्चिक : नवीन संकट का सामना , उत्पीड़न सहन करना पड़ेगा। लाभ कम हानि की आशंका ज्यादा रहेगी। आर्थिक स्थिति अनियंत्रित रहेगी। स्त्री , पुत्र , माता , पिता को शारीरिक कष्ट हो सकता है। 15 नवम्बर के बाद औद्योगिक क्षमता का विस्तार , शत्रुओं का शमन , बौद्धिक विकास ,नए वाहन भूमि भवन का लाभ संभव है।

धनु : कुछ नए तरह की समस्या का सामना करना पड़ेगा। कार्य व्यवसाय में हानि , पारिवारिक और राजकीय उलझन बनी रहेंगी। शिक्षा-परीक्षा में गतिरोध बना रहेगा। 15 नवम्बर के बाद कार्य विस्तार और भूमि या वाहन की प्राप्ति हो सकती है। प्रियजनों का विछोह हो सकता है।

मकर : बौद्धिक विकास , नौकरी व्यापार में स्थान परिवर्तन , अभीष्ट कार्यसिद्धि से प्रसन्नता , पुराने विवाद से निवृति , स्त्री संतान का सुख सहयोग , परन्तु 15 नवम्बर के बाद धन दव्य की हानि व्यर्थ भ्रमण दैनिक जीवन में खट्टे-मीठे अनुभव होंगे।

कुंभ : उद्योग व्यापार में लाभ , महत्वपूर्ण पद अधिकार की प्राप्ति , बौद्धिक कौशल से बाधाओं की निवृति होगी। ज्ञान , धर्म , धन , पुत्र सुख वृद्धि से मानसिक सुख बना रहेगा। परन्तु 15 नवम्बर के बाद अप्रिय वातावरण भोजन शयन में व्यवधान , धन सुख की हानि , विविध कष्ट का योग। स्त्री या संतान के कारण मान हानि की संभावना है , वाहन या शत्रु से कष्ट का योग।

मीन : धन अभाव , राजकीय सामाजिक परेशानी , कार्य अवरोधक प्रभाव , उत्साह में कमी , स्त्री संतान को कष्ट , प्रियजनों का विछोह। व्यापारिक पूंजी का क्षय , पुलिस के मामलों से धन अपव्यय हो सकता है। 15 नवम्बर के बाद सभी परिस्थितियों में सुधार , रोग सुख की निवृति और कार्य-व्यवसाय से धन लाभ हो सकता है। धर्म , अध्यात्म , अनुराग से यश और सफलता की प्राप्ति हो सकती है।

शनि का प्रभाव 
शनि अपना प्रभाव 3 चरणों में दिखाता है , जो साढ़े सात हफ्ते से साढ़े सात वर्ष तक होता है।
पहले चरण में : जातक का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और वह अपने उद्देश्य से भटक कर चंचल वृत्ति धारण कर लेता है। उसके अंदर स्थिरता का अभाव अपनी गहरी पैठ बना लेता है। पहले चरण की अवधि लगभग ढाई वर्ष तक होती है।

दूसरे चरण में : मानसिक के साथ-साथ शारीरिक कष्ट भी उसको घेरने लगते हैं , उसके सारे प्रयास असफल होते जाते हैं। तन , मन , धन से वह निरीह और दयनीय अवस्था में अपने को महसूस करता है। इस दौरान अपने और परायों की परख भी हो जाती है। अगर उसने अच्छे कर्म किए हों तो इस दौरान इसके कष्ट भी धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। अगर दूषित कर्म किए हैं और गलत विचारधारा से जीवनयापन किया है तो साढ़ेसाती का दूसरा चरण घोर कष्टप्रद होता है। इसकी अवधि भी ढाई साल होती है।

तीसरे चरण में : तीसरे चरण के प्रभाव से ग्रस्त जातक अपने संतुलन को पूर्ण रूप से खो चुका होता है और उसमें क्रोध की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है। परिणाम स्वरूप हर कार्य का उल्टा ही परिणाम सामने आता है तथा उसके शत्रुओं की वृद्धि होती जाती है। मतिभ्रम और गलत निर्णय लेने से फायदे के काम भी हानिप्रद हो जाते हैं। स्वजनों और परिजनों से विरोध बढ़ता है। आम लोगों में छवि खराब होने लगती है। अत: जिन राशियों पर साढे़ साती और ढैया का प्रभाव है , उन्हें शनि की शांति के उपचार करने पर अशुभ फलों की कमी होने लगती है और धीरे-धीरे वे संकट से निकलने के रास्ते प्राप्त कर सकते हैं।